4 जनवरी 2017
तुम्हें इस बात का हक है की तू अपने गुमान कर
अपने सफलताओ अपने काम का गुणगान कर
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संतोष कुमार तिवारी ' कमल '
रसायन विज्ञान विभाग,
अग्रेज चले गये, भारत के टुकड़े हो गये जनतंत्र आ गया, ७० साल बीत गये, पर आज भी बहुत कुछ बदला नहीं || मिट्टी का टुकड़ा समझ के, नया देश बनाया गया सीमाए बन गयी, दीवारे खाड़ी हो गयी पर आज भी लोगो में बेचनी तो है
तुम्हें इस बात का हक है की तू अपने गुमान करअपने सफलताओ अपने काम का गुणगान कर
तमासा बन गयी है जिंदिगी बस आपा-धापी में | वक्त बिता ही जाता है पर ओ आयेगे नहीं दिल में || तमासा ओ बने, मै सदमे तक अपने को ले जाऊ| नहीं ये आरजू मेरे, तमासा खुद मै बन जाऊ ||