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दिल का तमासा

6 जनवरी 2017

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तमासा बन गयी है जिंदिगी बस आपा-धापी में |

वक्त बिता ही जाता है पर ओ आयेगे नहीं दिल में ||

तमासा ओ बने, मै सदमे तक अपने को ले जाऊ|

नहीं ये आरजू मेरे, तमासा खुद मै बन जाऊ ||

नहीं है दोष् उनका कुछ, मुझे मालूम है दिल से

मै था बहुत ही अनजान, और मजबूर कुछ दिल से ||

मेरी फितरत नहीं की मै किसी को ठेस पहुचाऊ|

मेरी आदत नहीं की मै किसी को दुःख तक ले जाऊ ||

बात छोडो तमासे की मेरा तो अपना भी घर है |

जलाऊ क्यों किसी का दिल, मेरा अपना भी एक दिल है ||

मझे ये याद है कि रास्ता मेरा कहा पर है|

तमासा क्यों बनाऊ जिन्दगी पूरी पड़ी तो है ||

मुझे एहसास ये भी है की उनका अपना जीवन है|

कौन होता हूँ मै कि बोलू तुमको एसे जीना है ||

ये उनकी सादगी थी कि, उन्हों ने सुन लिया मुझको |

दिलो की बात रखनी थी, तमासा क्यों बनाऊ मै ||

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