हास्पिटल जनित समस्याएँ ( कहानी दूसरी क़िश्त)
दो दिनों बाद फारुख लायब्रेरी से पढाई समाप्त करके घर जाने की तैयारी करता है । रात्री के 8 बज रहे थे । वह तेज़ी से लोकल रेल्वे स्टेशन की ओर पैदल आगे बढता है । कुछ दूर जाने के बाद उसे सामने से एक लड़की भागती हुई आती दिखती है । फ़ारूख उसे पहचान लेता है । वह ऐश्वर्या ही थी । लड़की के बाद तीन लड़के दौड़ते हुए उसकी ओर आए । उन तीनों में से एक सैमुवल था । सैमुवल ने फ़ारूख को लगभ्ग धमकाते हुए कहा कि तुम हमारे रास्ते से हट जाओ । आज ऐश्वर्या हमारी मेहमान बनने वाली है । तब फ़ारूख कहता है की मेरे रहते तुम किसी लड़की पर अत्याचार नहीं कर सकते । इतना सुनते ही वे तीनों फ़ारूख पर हमला कर देते है । लेकिन फ़ारूख बुलंद काठी का इंसान था । अत: वह अकेले ही तीनों से भिड़ जाता है । कुछ ही मिनटों में वे तीनों ज़मीन पर धूल चांटते नज़र आते हैं । पर इस लड़ाई में उन तीनों में से किसी ने उसके पेट पर चाकू से वार किया था । जिसके कारण उस जगह से खून भी निकल रहा था और उसे बेहद दर्द भी हो रहा था । ऐश्वर्या ने जब उसकी हालत देखी तो एक टेक्सी बुलाकर उसे पास ही स्थित हिन्दूजा हास्पिटल ले जाती है , जहां उसको भर्ती करके उसके पेट का आपरेशन किया जाता है । इस आपरेशन के बाद फ़ारूख को लगभग 7 दिनों तक हास्पिटल में रहना पड़ा ।
इस घटना के बाद तो फ़ारूख और ऐश्वर्या की दोस्ती परवान चढने लगी । दोस्ती का रिश्ता धीरे धीरे प्यार मुहब्बत में बदलने लगा । धीरे धीरे उन दोनों की दोस्ती और प्यार की बातें कालेज में भी फ़ैलने लगीं । इसके अलावा प्रभा देवी इलाके में लोगों को यह मालूम होने लगा कि एक मुसलमान लड़का और एक हिन्दू लड़की आपस में शादी करने जा रहे हैं । जिसके कारण उस इलाके में थोड़ा तनाव का वातावरण भी निर्मित हो गया था । शुरुवात में इंदू और दीपक भी उन दोनों की गहरी दोस्ती पर आपत्ति थी , लेकिन बाद में उन्हें लगा कि दोनों ही समझदार हैं । दोनों अपनी पढाई और अपने कैरियर के प्रति गंभीर भी हैं साथ ही दोनों की जोड़ी भी अच्छी दिखती है ।उन्हें भी विरोध करना उचित नहीं लगा ।
जैसा इन्दू और दीपक ने सोचा था वैसा ही हुआ। ग्रेजुवेशन के बाद दोनों ने पीएससी और यूपीएससी की दिलाई और दोनों ही युपीएससी की परीक्षा क्रेक करके रेल्वे में जूनियर आफ़िसर बन गए। दोनों की पोस्टिंग मुंबई में ही अलग अलग आफ़िस में हो गई । अब दोनों विवाह के बारे में सोचने लगे । ऐश्वर्या के माता पिता ने भी इस बाबत फ़ारूख की माता से बात करने का मन बना लिया ।
उधर जब फ़ारूख की अम्मी को उनकी शादी के विचार मे बारे में पता चली तो वह बोली कुछ नहीं पर उनके चेहरे पर सुकून के भाव नहीं थे । फ़ारूख की अम्मी ने इस बात को अपने बड़े बेटे सुलेमान को बताई , सुलेमान फ़ारूख से दो साल बड़ा था, वह उस वक़्त आसाम गया था। वह अपनी पढाई लिखाई के बाद मुस्लिम धर्म का प्रचारक बन गया था । जब सलमा ने अपने बड़े बेटे सलमान को फ़ारूख और ऐश्वर्या के आपसी मेलजोल और उससे आगे उन दोनों के आपसी रज़ामंदी से शादी करने के विचार के बारे में बताया तो उनका बड़ा बेटा सुलेमान बेहद नाराज़ हो गया । वह कहने लगा कि मैं खुद मुस्लिम धर्म के प्रचारक के रूप में जाना जाता हूं । मैं तो इस बात का मुकम्मल विरोध करुंगा । उधर ऐश्वर्या और फ़ारूख़ के बीच बन रहे एक नये रिश्ते की बात जब मुहल्ले और शहर में पहुंचने लगी तो उनके विरोध में कई हिन्दू और मुस्लिम संगठन आवाज़ उठाने लगें । उधर कई सामाजिक संगठनों के बयानात जब अखबारों की सुर्खियां बनने लगीं तो राज्य सरकार भी किसी अनहोनी की आशंका से चिन्तित नज़र आने लगी।
कुछ दिनों बाद सुलेमान आसाम से वापस मुंबई लौटे तो वह एक दिन सुबह सुबह ऐश्वर्या के माता पिता से मिलने व समझाने उनके घर पहुंच गए। ड्राइंग रूम में बैठे बैठे जब वह एश्वर्या के परिवार के सदस्यों का इंतज़ार कर रहा था तो सुलेमान ने देखा कि दीवाल पर टंगी एक फोटो फ़्रेम पर अटक गई । उस फ़ोटो फ़्रेम में सुलेमान की अम्मी एक नवजात शिशु को गोद में लिए खड़ी थी । यह देख सुलेमान सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर इस घर में उसकी अम्मी की फोटो क्यूं टंगी है ।
( क्रमशः)