नमस्कार 🙏
सर्वप्रथम आप सभी को विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं |
पर आज मन थोड़ा व्यथित है कारण है हम राम नही देखना चाहते हम आज के दिन रावण देखना चाहते हैं |
पूरा समाज बस एक ही बात कहता है आओ रावण देखने चलें
आखिर हम बच्चों से ये क्यो नही कहते कि आओ राम देखने चलें ?
आप सभी दिल पर हाथ रखकर खुद बताइए क्या आपने बच्चों को कभी ये कहा कि आओ राम देखने चलें दशहरा में | उनके गुणों को अपने अंदर उतारें | हम अपने समाज को रावण दिखाएंगे और उम्मीद करेंगे राम के गुणों की| मनवीर सर की इन पँक्तियो का आज मनन क्ररियेगा सोचिएगा और लोगों में ये बात शेयर करियेगा |
व्यवहार से स्वयं सह देते रावणों को
और बोलियेगा सब राम चाहते हैं क्यों ?
आपस में स्वयं प्यार बांट सकते नही
किन्तु दूसरों से सब राम राम चाहते हैं क्यों?
कोई करने लगे तो खुद को सहन नही,
खुद करें राम राम राम चाहते हैं क्यों?
आशा काम की है किन्तु बाहर से सभ्य होकर के,
सब राम राम राम राम चाहते है क्यों ?
आप कल का न्यूज़ पेपर या आज की न्यूज़ चैनल देखियेगा
यहां का रावण 100 फ़ीट वहां का रावण 120 फ़ीट यहां का रावण आग उगल रहा यहां का रावण नाच रहा ,इन्हीं जानकारी से भरा मिलेगा | यही कारण है समाज में रावण का कद बढ़ता जा रहा है|
रावण को हर बार जलाते हैं पर कौन उसे जन्म दे रहा है ? ये सोचिए ? उसे जन्म दे रही राम की अनुपस्थिति|
याद रखिये जब तक राम लीला में आप रावण दिखाएँगे समाज को तब तक राम कभी नही दिखा पाएंगे |
आपका छोटा बच्चा जिज्ञासा वश जब आज की पौराणिक कथा पूछता है तो आप उसको रावण ने क्या किया या राम ने उसे क्यों मारा यही बताते हैं केंद्र बिंदु रावण को बना देते हैं कभी आपने राम से शुरू किया आज के दिन को बताना ? बिल्कुल नही आप यही से बताते हैं कि रावण ने सीता का हरण किया और राम भगवान ने उसे मारा |
आपने क्या कभी अपने बच्चों को कोकोमेंनन की जगह सुंदरकांड सुनाया ? नही सुनाया होगा वो रोता है तो हम उसको कोकोमेनन या कोई कार्टून दिखाकर उसको शांत करते हैं यानी उसके सीखने की उम्र में ही उसको राम से दूर करते हैं |
मैं राम के बारे में कुछ नही लिख रही क्योकि मेरी लेखनी उस योग्य नही है बस इतना लिखूंगी
राम के चरित्र के बारे में क्या लिखूं कुछ और
तुलसी और बाल्मीकि ने नही छोड़ा कुछ और |
हम बच्चों को बताएं राम भी एक इंसान के अवतार में थे | उनका जीवन सामान्य मानव जीवन की तरह था | वो चाहते तो सीता को एक बार मे जाकर उठा लाते पर तब वो भगवान राम कहलाते पर जब उन्होंने सबको साथ लेकर के सामान्य मानव की तरह युद्ध लड़कर रावण को हराया तब वो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहलाये|
उनको अपना आदर्श बनाएं उनके गुणों को आत्मसात करें फिर देखियेगा रावण मारने की जरूरत ही नही पड़ेगी |
रावण हो क्यों रहे हैं क्योकि हम होने दे रहे अगर राम होने दें तो रावण का नाम भी नही रहेगा |
याद रखिये राम और रावण में बस इतना फर्क है कि एक आदर्श है कि उस जैसा बनिये दूसरा अभिशाप है कि उस जैसा न बनिये |
राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था,
दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था||
न्याय-व्यवस्था में कमज़ोरी,आतंकों के स्वर तगड़े हैं
काग़ज़ के रावण मत फूँकों,ज़िंदा रावण बहुत पड़े हैं||
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