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गांधी तो अजर अमर हैं

2 अक्टूबर 2021

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दोस्तों आज 2 अक्टूबर है राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती है |

दोस्तों अगर आपको अपनी विचार धारा प्रसिद्ध करनी हो तो उस समय जो सबसे प्रसिद्ध विचार धारा फेमस हो तो उसको आप डिफेम करना शुरू कर दीजिए और समाज में पहली विचार धारा को इतना गलत बता दीजिये की लोग उसको गलत ही मानने लगे आज कुछ ऐसे ही हालात देश के हैं |
लोग पूरे विश्व में प्रिय हमारे महात्मा गांधी को डिफेम करने की पुरजोर कोशिश की जा रही और ये सिर्फ भारत मे ही सम्भव है जहाँ एक हत्यारे को ज़िंदाबाद के नारे लगवा दिए जाते हैं | खैर मुझे उस हत्यारे से कोई मतलब नही है क्योंकि उसका वजूद ही गाँधी जी से है |
हंसी तो तब आती है उसी विचार धारा के मुखिया विदेश में जाकर गाँधी जी के नाम का सहारा ले लेते हैं | क्योंकि उनको पता है हत्यारे को सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए प्रयोग किया जाता है |

गांधी क्या थे ? सिर्फ आप दिनकर जी की ये चंद पंक्तियाँ पढियेगा
देश में जिधर भी जाता हूँ,
उधर ही एक आह्वान सुनता हूँ
जड़ता को तोड़ने के लिएभूकम्प लाओ |
घुप्प अँधेरे में फिरअपनी मशाल जलाओ |
पूरे पहाड़ हथेली पर उठाकरपवनकुमार के समान तरजो | कोई तूफ़ान उठाने कोकवि, गरजो, गरजो, गरजो |
सोचता हूँ, मैं कब गरजा था ?
जिसे लोग मेरा गर्जन समझते हैं,वह असल में गाँधी का था,उस गाँधी का था, जिस ने हमें जन्म दिया था |
तब भी हम ने गाँधी केतूफ़ान को ही देखा,गाँधी को नहीं |वे तूफ़ान और गर्जन केपीछे बसते थे |
सच तो यह हैकि अपनी लीला मेंतूफ़ान और गर्जन कोशामिल होते देखवे हँसते थे |
तूफ़ान मोटी नहीं,महीन आवाज़ से उठता है |
वह आवाज़जो मोम के दीप के समानएकान्त में जलती है,और बाज नहीं,कबूतर के चाल से चलती है |
गाँधी तूफ़ान के पिताऔर बाजों के भी बाज थे |
क्योंकि वे नीरवताकी आवाज थे|
                  -दिनकर जी

अब कुछ लोग बोलेंगे गांधी जी चाहते तो समझौते में हमारे क्रांति कारियों को बचा सकते हैं और इनमे से 50% लोगों को समझौते का नाम बिना गूगल से नही पता होगा और 90% लोगों को समझौते की सारी शर्तें नही पता होंगी |
अगर आप उन सभी शर्तों को को पढ़कर गांधी जी की जगह खुद को रखेंगे तो आपको एहसास होगा कि ऐसा न चाहते हुए भी क्यों करना पड़ा |

उस हत्यारे ने तो गांधी के शरीर को चंद पैसे की लालच में मारा पर उसको क्या पता था गाँधी एक शरीर नहीं एक सोच हैं जो आज भी भारत के सिर्फ कुछ अपवादी लोगों को छोड़कर सबके दिलों पर राज करती है और वो अपवादी लोग भी भारत के बाहर जाकर गांधी के नाम का ही सहारा लेते है  |

हत्यारे  ने जो गोलियां महात्मा गांधी के शरीर पर चलाईं, वे गोलियां सिर्फ उनपर नही पर नहीं बल्कि वह देश की एकता, समानता और प्रेम पर चली थीं

गांधी की हत्या देश की सेक्यूलर विचारधारा पर सांप्रदायिक विचारधारा का एक हमला था|

मगर शायद वो भूल गए की इंसान के शरीर को आप मार सकते हो उसकी सोच को नही और हुआ भी वही आज गांधी की सोच पूरे विश्व मे सर्वप्रथम है और हत्यारे की सिर्फ एक विचारधारा तक सीमित |

कारा थी संस्कृति विगत, भित्ति
बहु धर्म-जाति-गत रूप-नाम,
बन्दी जग-जीवन,भू-विभक्त,
विज्ञान-मूढ़ जन प्रकृति-काम;
आए तुम मुक्त पुरुष, कहने
मिथ्या जड़-बन्धन, सत्य राम,
नानृतं जयति सत्यं, मा भैः
जय ज्ञान-ज्योति, तुमको प्रणाम!
- सुमित्रा नन्दन पंत

गांधी तो अजर अमर हैं
🙏


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne awesome 👏👌👌👌

15 अक्टूबर 2021

वणिका दुबे "जिज्जी"

वणिका दुबे "जिज्जी"

16 अक्टूबर 2021

धन्यवाद बहन

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