"मुक्तक" हार-जीत के द्वंद में, लड़ते रहे अनेक।किसे मिली जयमाल यह, सबने खोया नेक।बर्छी भाला फेंक दो, विषधर हुई उड़ान-महँगे खर्च सता रहे, छोड़ो युद्ध विवेक।।-1हार-जीत किसको फली, ऊसर हुई जमीन।युग बीता विश्वास का, साथी हुआ मशीन।बटन सटन है साथ में, लगा न देना हाथ-यंत्र- यंत्र में तार है, जुड़ मत जान नगीन।।-2