आज विजया दशमी है विजया । पुरातन कथा है,सनातन प्रथा है । पापो का नाश है,पुण्य का वास है । धनुष बाण ढोल नगांडे रंग रसिया । आज विजया दशमी है विजया ।1 अपना सारा धूल धक्कड़ झड़ा दे। रुप यौवन का गिर
बच्चे होते अपने,बच्चे होते अपने सच होते हो जैसे सपने । बस्ते से लदे,सावधान से सधे सोम से शुक्र तक गम्भीर शनि को जैसे चेहरा खिले आते है शाला अरमान लेकर होमवर्क का फरमान लेकर छुट्टी होने पर
बच्चे स्वभाव से ही बेहद चंचल होते हैं, लेकिन जब बच्चे की शरारतें हद से आगे बढ़ जाती हैं तो वह न सिर्फ माता-पिता बल्कि अन्य लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती हैं। कई बार तो बच्चों की शरारतों का एक भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। वैसे तो हर माता-पिता अपने बच्चे को सबसे अच्छा बनाना चाहता है, लेकिन बह
शर्मा जी अभी-अभी रेलवे स्टेशन पर पहुँचे ही थे। शर्मा जी पेशे से मुंबई मे रेलवे मे ही स्टेशन मास्टर थे। गर्मी की छुट्टी चल रही थी इसलिए वह शिमला घूमने जा रहे थे, उनके साथ उनकी धर्मपत्नी मंजू और बेटी प्रतीक्षा भी थी। ट्रेन के आने मे अभी समय था।तभी सामने एक महिला अपने पाँच स
हॉकी के मैदान पर गोल दागने वाले नेशनल खिलाड़ी तारा सिंह का नया पता है अंबाला रेलवे स्टेशन। रेलवे में खेल कोटे से उन्हें मुलाजिम होना था पर वे कुली बनने को मजबूर नई दिल्लीः अंबाला रेलवे स्टेशन पर अगर कोई नौजवान कुली आपसे मिले और पूछे कि बाबूजी कहां सामान ले चलना है तो जरा उसका नाम जरूर पूछ लीजिएगा।