बच्चे स्वभाव से ही बेहद चंचल होते हैं, लेकिन जब बच्चे की शरारतें हद से आगे बढ़ जाती हैं तो वह न सिर्फ माता-पिता बल्कि अन्य लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती हैं। कई बार तो बच्चों की शरारतों का एक भारी खामियाजा चुकाना पड़ता है। वैसे तो हर माता-पिता अपने बच्चे को सबसे अच्छा बनाना चाहता है, लेकिन बहुत से पैरेंट्स की यह शिकायत होती है कि उनका बच्चा बात ही नहीं सुनता। जिसके कारण उन्हें सख्त रास्ते इख्तियार करने पड़ते हैं। अगर आपका नाम भी ऐसे ही पैरेंट्स की लिस्ट में शुमार है, जो अपने बच्चे की शरारतों से तंग आ चुके हैं तो अब आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। आज हम आपको ऐसे कुछ सीक्रेट्स बता रहे हैं, जिसे जानने के बाद आपके लिए बच्चे को हैंडल करना आसान हो जाएगा-
समझें परेशानी
अगर आप सच में बच्चे की शैतानियों को कम करना चाहते हैं तो पहले उसकी जड़ को समझें। कुछ बच्चे अपने माता-पिता की अटेंशन पाने के लिए जान-बूझकर शैतानियां करते हैं तो कुछ बच्चे स्वभाव से ही बेहद नटखट होते हैं। ऐसे बच्चों को हाइपरएक्टिव कहा जाता है। अगर बच्चा जान-बूझकर ऐसा कर रहा है तो इसका अर्थ यह है कि आप उसे समय नहीं दे रहे। इसलिए उसे थोड़ा समय देना शुरू करें। वहीं अगर बच्चा हाइपर एक्टिव है तो आप कोशिश करें कि उसकी अतिरिक्त एनर्जी का उपयोग सकारात्मक रूप से हो। इसके लिए आप उसे कोई एक्टिविटी क्लास ज्वाइन करा सकते हैं। जहां उसे खुद को एक्सप्लोर करने का मौका मिले।
बिताएं क्वालिटी टाइम
यह सच है कि आज के समय में हर कोई बेहद व्यस्त रहता है,, इसलिए बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। कोशिश करें कि आप जिस समय बच्चे के साथ हों, उसकी गलतियां ही न गिनाते रहें और न ही उससे हमेशा पढ़ाई और रिजल्ट के बारे में बात करते रहें। ऐसा करने से बच्चा आपसे दूरी बनाने लगेगा और न ही अपने मन की बात आपको बताएगा। उसके साथ कम वक्त बिताएं लेकिन अच्छा समय बिताएं। उस दौरान बच्चे के साथ खेलें, उसके दोस्तों के बारे में बात करें। कोशिश करें कि आपके और बच्चे के बीच एक अच्छी बाॅन्डिंग हो। इससे बच्चा अपनी हर बात आपको बताएगा और आपकी सुनेगा भी।
जरूरी है रिवार्ड भी
यह मानसिकता हर व्यक्ति में होती है, फिर चाहे वह बच्चा हो या बड़ा। जरा सोचिए, जब आप कुछ अच्छा काम करते हैं या किसी कार्य के लिए कड़ी मेहनत करते हैं तो सामने वाले से थोड़ी प्रशंसा या रिवार्ड की उम्मीद करते हैं। अगर ऐसा न हो तो मन में नकारात्मक विचार आते हैं। ठीक ऐसा ही बच्चों के साथ होता है। जब वह अच्छा व्यवहार करते हैं तो अभिभावक से एक रिवाॅर्ड की उम्मीद करते हैं। ऐसा न होने की स्थिति में वह शरारतें करते हैं। उस समय पैरेंट्स बच्चों को डांटते हैं या गुस्सा करते हैं। ऐसे में बच्चों को लगता है कि गलत व्यवहार करने पर ही उन्हें नोटिस किया जाता है और इस तरह वह दिन पर दिन अधिक शरारतें करने लगते हैं। इसलिए बच्चे द्वारा किए किसी अच्छे कार्य व उनके अच्छे व्यवहार के लिए उनकी प्रशंसा अवश्य करें या फिर उन्हें एक छोटा सा रिवार्ड दें।
दें जिम्मेदारी
अगर आप चाहते हैं कि बच्चा अच्छा व्यवहार करे और अपनी जिम्मेदारियों को समझे तो जरूरी है कि आप उन्हें कोई छोटी जिम्मेदारी दें। इससे उनके व्यवहार में एक सीरियसनेस आती है। साथ ही उन्हें यह समझाएं कि घर मंे उनका भी उतना ही महत्व है, जितना घर के अन्य सदस्यों का। इस प्रकार आप धीरे-धीरे उन्हें व्यवहार में परिवर्तन देखेंगे।
ना करें यह गलती
पैरेंटिंग आज के समय में वास्तव में बेहद कठिन कार्य है और बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाने के लिए माता-पिता को बेहद धैर्य की आवश्यकता होती है। ऐसा जरूरी नहीं है कि जैसा आप सोचे, बच्चा हर बार वैसा ही व्यवहार करें। कई बार बच्चे नियमों को भी तोड़ते हैं या फिर कुछ अधिक शरारतें करते हैं। ऐसे में बच्चे पर चिल्लाने या शारीरिक दंड देने की गलती न करें। इससे बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्हें कहें कि उनके इस व्यवहार से आपको बुरा लगा है और आपको यकीन है कि वह अगली बार ऐसा नहीं करेंगे। अगर आप इस तरह उनसे बात करेंगे तो उन्हें लगेगा कि आप उन पर बेहद यकीन करते हैं और फिर वह कोई शरारत करने से पहले सौ बार सोचेंगे। इसके अतिरिक्त बच्चे की गलतियों को दूसरों के सामने न गिनाएं। दरअसल, छोटे बच्चे कोई भी बात बेहद जल्दी मन पर लगा लेते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो वह बहुत अधिक शैतानी करने लगेंगे।