फेंट फेंट के
बात के झाग
जहर बेल से
जल गइल बाग़
गला फाड़ के
कान फाड़ के
राग होईल बैराग ,
कइसन मधुबन
ई ता खाण्डव
ई तांडव के पांडव
भुखला के का दिहन
मुह में रोटी साग
ब्बात के झाग
बात के आग
गला पे गमछा
मू पर गमछा
ढोलक ताली
सम पर खाली
चिकरते रहो चिल्लाओ
भेजे थे पेट काट के
मु पर
मट्टी साट के
गऊ से सीधा था तुम
मु में जीभ नहीं था
अब तो गला का नस है
तुम पर किसका बस है
सिस्टम बुझा रहा है ?
घुघनी रोटी खा के
लैंप जला के
बाऊ जी जा के
तरकारी लावें
तू बैठे
किताब में
मू नुका के ?
अब इनका सिस्टम बुझाया
इन्दरनगरी भेजे
एक्लॉता फोटिन कैरेट
चैन बेच के
अन्धेरा में
फोकचा का ठेला खेंच के
हमरे राजा को
हम इन्दरपुरी भेजे
घूर गया मुंडी
पर बज्जर
हे दीनानाथ
घूर गया मुंडी
ताजा हवा खाली
ढोलक ताली
ढाबा ढाबा
बखत खराबा
बातबनौरी महल
बन गया
चार साल दस साल
निकल गया
बाबूजी ऊपर निकल गए
बहनी ट्युसन
माई टेंसन
रात दिन
बस झंझट गूंजा
घुन्नल बूंट के
खोख्ख्हल भूंजा
बात का दंगल
बाहर तनि देखो
भूख का जंगल
एक गो घांस
उगा के देखो
इतना है सिम्पैथी
हल पर हाँथ ठेका के देखो
बाबूजी का रखा है ठेला
झारो धूरि हिम्मत है?
मलेरिअ से बच्चा मरता
दस्त से बच्चा मरता
का कर लिए
बनते डाक्टर ?
ढाबा पर जो
छोकरा है
पूछो उससे
का होता है
बिन आंसू
काहे रोता है
ई सब में
पोपलार्टी नहीं है
पावर नहीं है
बिना डोलाये
हाँथ गोर
फेमस बन्ना है
लटके रहिये
गुथ्थम गुथ्था
पटके रहिये
दुनिया को अब
टाइम नहीं है
रास्ता छोड़िये
हटके रहिये ....