रंग चम्पई
मार्ख़ीन की धोती
रंगाई
चम्पई हथेलिओं से
अंगना पसारती
भौजाई
मेहँदी पर जल्दी चढ़ी
रोज रोज की पीसी
हरदिया
ऊपर से चम्पई चढ़ा के
बढ़ी दरदिया
ई सब कैसे कहें
बतावें
रो रही ननमुनिया
और चाहिए मूढ़ी लाई
थरिया ले अल्मुनिआ
धुप मुई
सिहरावन वाली
न समझे न बूझे
मुंडेर से जो ढूढे तब से
दूर तलक ना सूझे
अम्मा जी की बड़ोयां सूखें
बाबूजी बैठे हैं भूखे
ऊपर से भून कर पिसेंगी
धनियाँ
देख ले कागा दुनियाँ मेरी
रो ते रो ते
सोई पड़ी
ननमुनियाँ