*हिन्दी ग़ज़ल-चर्चित हो गये*
नव काव्य सृजन करके थोड़ा सा चर्चित हो गये।
हम भी इस युग के नये रंगों से परिचित हो गये।।
धन्य उन वीरों, जवानों ने दी जो कुर्वानियां।
पूजा के ही कुछ पुष्प जो देश पर अर्पित हो गये।।
उनके पावन दर्शनों को पाके हम तो धन्य है।
पाप अनजाने किये थे वो भी विसर्जित हो गये।।
आते ही वो चुनाव में कैसे बिठाते पास में।
जीते चुनाव देख तो कैसे अपरिचित हो गये।।
सादगी तो इस क़दर 'राना' को उनकी भा गयी।
तन, मन, धन से आज उन पर ही समर्पित हो गये।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी",टीकमगढ़*
संपादक-"आकांक्षा" हिंदी पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com