रोहन 12 वी क्लास में था पिताजी किसान थे ज्यादा लंबी चौड़ी खेती तो नहीं थी पर 8 -10 बीघे जमीन में बसर हो रहा था
रोहन पढ़ाई में तेज था पर उसकी संगत कुछ गलत लड़कों से पड़ गयी वो घर पर पढ़ाई के बहाने निकलता और उन लड़कों के साथ जाता कुछ ही दिन में वो नशा करने लगा
पापा के पैंट से पैसे निकलता और नशे का सामान खरीदता.
अब वो ड्रग्स भी लेने लगा पर घर में किसी को भनक तक ना थी
एक दिन रोहन इंटरनेट पर कुछ उसी सिलसिले में खोज रहा था तभी उसको वहाँ पर लिखी एक चीज़ दिखाई दी जिसमें लिखा था कि एक सिरिंज का कई लोग उपयोग करते हैं तो hiv नामक रोग हो सकता है
रोहन को एक झटका सा लगा कि मैं भी उन लोगों के साथ सिरिंज लगाता हूँ क्योंकि रोहन भले की क्लास 12th में था पर hiv के बारे में उसको जरा सा भी ज्ञान ना था.और ना ही उन बिगड़े लडकों को और परिवार में इसका नाम लेना भी गुनाह जैसा ही था
रोहन भाग के गया और उन लड़कों को दिखाया पर उन लड़कों ने हँस के टाल दिया क्योंकि रोहन पढ़ाई में तेज था तो वो बार बार इधर उधर दिमाग दौड़ाता और यही सोचता
की अगर मुझे hiv हो गया तो क्या होगा पापा क्या कहेंगे ये गांव वाले क्या कहेंगे . दिल की धड़कने बढ़ने लगी और दिन रात यही सोचता.
अब रोहन ने इंटरनेट पर hiv के लक्षण ढूढने लगा
जिसमे बुखार, आदि इंटरनेट पर उसको दिखा.
6 -7 दिन बीत गए रोहन को अचानक बुखार आया
बुखार ज्यादा तो नहीं था पर रोहन को बुखार महसूस होता.
उसको अपने शरीर को गर्म होने का एहसास होता.
2 दिन बीत गए तो उसने अपने पिता जी को बोला कि मुझे बुखार जैसा लग रहा है पापा
तो पिताजी ने थर्मामीटर से नापा तो हल्का बुखार था
उन्होंने कुछ दवाइयां दी और बोले आराम करो तुम
2 दिन बीत गए उसे वैसे ही लगता गर्म शरीर पर चेक करने पर बुखार नही आया.
रोहन ने सोचा कि बुखार उतर नही रहा है तो मुझे कहीं hiv तो नहीं हो गया वह इंटरनेट पर इसी के बारे में देखता
इसी से मिलते जुलते लक्षण मिलने पर उसको शक होने लगा
शरीर गर्म होने का एहसास उसको रोज़ होता और फिर
उसने सोचा कि लगता है उसे hiv हो गया . यह बात वह अपने माता पिता से नहीं कह पाता और ना ही किसी और से उसको लगता कि उसके बारे में लोग क्या सोचेंगे.
धीरे धीरे वह गुमसुम रहने लगा और ना ही पढ़ाई करता ना खाना खाता इसी सोच में डूबा रहता और कोई पूछे तो यही कहता कि मेरा बुखार उतर क्यों नहीं रहा लगता है मुझे कोई बड़ी बीमारी हो गयी है हर समय इसी सोच में डूबा रहता और किसी को बताता ना
धीरे धीरे 6 महीने बीत गए और हमेशा इसी बात को सोचते सोचते ये बात उसके दिमाग मे घर कर गयी उसका मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ होने लगा.
क्योंकि कोई भी बुखार थर्मामीटर ने आता नहीं तो घरवाले यही समझाते बेटा ठीक है सब तुमको कोई बीमारी नहीं है
पर उसका दिमाग वही कहता कि नहीं मुझे hiv शायद हो गया है. पर ये बात अपने घर पर ना बताता मन ही मन घुटता जाता.
शरीर एक दम दुबला पतला हो गया घरवाले भी परेशान रहने लगे कि क्या हो गया है इसे जिसे चुप रहने के लिए कहा जाता वह इतना खामोश रोहन की माँ थोड़ी गुस्सैल थी पर पिता जी बहुत सुलझे आदमी थे उन्होंने कहा आज मैं तुम्हारा सब बुखार उतार दूंगी रोहन की उन्होंने चप्पल जूता जो कुछ भी मिला सब उसके बदन पर चला दिया.
रोहन रोता लेकिन इसलिए नहीं कि माँ ने मारा है बल्कि इसलिये की hiv ने उसे कहा से कहा लाकर खड़ा कर दिया
वो अंदर से टूट चुका था पर तब भी ये बात किसी को किस मुह से बताये उसे लगता कि अगर मैं कहूंगा तो ये लोग गलत ही समझेंगे.
घर वाले भी परेशान एक ही बेटा वो इसकी ये हालत
पिताजी किसान थे तो ज्यादा जमा पूंजी तो थी नहीं
खेतों में जाते तो लड़के के दुख के आगे कुछ दिखाई न देता
एक दिन रोहन के पिताजी रोहन से बोले तैयार हो जाओ
चलो डॉक्टर के यहां रोहन इस बात से उतावला था कि
कहीं वहां जाकर उसे पता ना लग जाये कि उसे hiv है.
बहुत कहने पर वो तैयार हुआ और दोनों लोग गए
पर अभी तक पिताजी को उसके मन की बात नहीं पता थी
उन्हें लगता कि इसे बुखार जैसा महसूस होता है तो इसीलिए इतना परेशान है.
डॉक्टर के पास पहुँचे दोनो पिताजी ने कहा कि डॉक्टर साहब इसे बुखार जैसा लगता है पर घर पर थर्मामीटर से नापते है तो टेम्प्रेचर सामान्य रहता है
डॉक्टर साहब ने रोहन की आंखें देखी और कुछ टेस्ट लिखे बोले करा लो फिर दिखाओ .
पिताजी पैथोलोजी गए और इनका नंबर आने वाला था कि
अचानक रोहन की नज़र एक पोस्टर पर पड़ी जिसमे सभी टेस्ट का नाम और दाम लिखा था . उसकी नज़र hiv के टेस्ट पर पड़ी और उसकी धड़कने तेज़ हो गयी उसे लगा कि अगर ये टेस्ट हो जाएगा तो मेरा सारा भरम समाप्त हो जाएगा और पता लग गया कि नहीं है तो मेरा सारा दुख दर्द समाप्त हो जाएगा . पर इस hiv टेस्ट को पापा से कराने के लिए कहने की हिम्मत रोहन में ना थी. 2 घंटे बाद रिपोर्ट आई तो पता लगा कि उसे पीलिया है वो भी थोड़ा . पिताजी ने रोहन से कहा कि बेटा पीलिया है तुमको इतनी कोई बड़ी बीमारी नहीं है तुम 6 महीने से क्यों इतना परेशान हो क्या बात है . रोहन को एक ही चीज़ सोचते सोचते और नशा ना मिलने की वजह से दिमागी संतुलन कुछ गड़बड़ सा हो गया. उसे वही लगता कि पीलिया नहीं उसे hiv ही है
बाद में घर आने पर उसके पापा को लगा कि कुछ बात है जो ये छुपा रहा है वरना ऐसा कभी हुआ नहीं है की इतना परेशान रहे. एक दिन उसके पापा रोहन को खेतों की तरफ ले गये और पूछे
देखो बेटा क्या बात है मुझसे खुल कर बताओ
रोहन मन ही मन में सोचा कैसे बताऊ अपने बाप को की मैंने इतना गलत काम किया है. वो शांत ही बैठा रहा कुछ नही बोल रहा था तभी कुछ देर बाद .
पिताजी बोले देखो बेटा जो कुछ भी है खुल कर बताओ मैं कुछ नहीं कहूंगा और ये बात जान लो मेरे अलावा कोई तुम्हारा मदद नहीं करेगा बताओ बेटा हम लोग बहुत परेशान हैं तुमको लेके हमारे एक ही बेटा है हम लोगों पर क्या बीत रही है तुमको पता है
रोहन अपने पापा से बहुत प्यार करता था उनका ये ग़म उससे देखा नहीं गया और उसने फैसला कर लिया कि सब कुछ बता देगा
रोहन ने रोते हुए बोला कि पापा मुझसे कुछ गलती हो गयी है
पापा ने कहा- हा बताओ मैं कुछ नहीं करूँगा खुल के बताओ
रोहन- पापा मैं कुछ गलत लड़कों का साथ कर लिया था मैंने पहले नशा शुरू कर दिया फिर उसके बाद सिरिंज वाला नशा तभी मैं इंटरनेट पर देख रहा था कि सिरिंज आदान प्रदान से hiv रोग हो जाता है और मुझे बुखार जैसा फील हो रहा था तो मुझे लगा कहीं मुझे hiv तो नहीं हो गया
पापा- नहीं बेटा ऐसा नहीं होता क्या उन लड़कों में कोई लक्षण है
रोहन- नहीं
पापा- तुम्हे ये चीज़ पहले बताना था कि मुझे ये समस्या है सोचो मुझे कितना आघात पहुंचा है
मैं तुम्हे मारूँगा नहीं क्योंकि तुम बड़े हो चुके हो और तुम वैसे बीमार हो
लेकिन बेटा ये बताओ ये सब कब से चल रहा था
रोहन- ज्यादा नहीं 3 महीने किया उसके बाद बीमार ही हो गया
पापा- अपने मम्मी - पापा के बारे में सोचा तुमने ये सब कभी
रोहन- दर्द से, रोते हुए ,नहीं
पापा- देखो बेटा पहले रोना बंद करो ये hiv तब फैलता है जब कोई संक्रमित आदमी का खून तुम्हारे संपर्क में आये तुम चिंता ना करो चलो घर तैयार हो जाओ पैथोलॉजी चलकर तुम्हारी hiv का जांच करा देता हूँ तुम्हारा भ्रम दूर हो जाएगा पहले बता देते तो ये नौबत ना आती
चलो छोड़ो ,जो बीत गयी वो बात गयी, नई जीवन शुरू करो
चलो अब
रोहन- पापा का प्यार देखकर उसकी आंख से आंसू गिरने लगे और खुश हुआ कि उसके इतने दिनों का भ्रम खत्म हो जाएगा और उसे लग गया कि माँ - बाप को छोड़कर दुनिया मे कोई साथ देने वाला नहीं
रोहन ने दुखी हृदय से पापा को रोते हुए बोला पापा मैं कसम खाकर कहता हूँ सब छोड़ दूंगा और पहले जैसा हो जाऊंगा
पापा- पहले रोना बंद करो और गलती इंसान से होती है
कोई बात नहीं चलो तुम्हें इसका पछतावा हो गया बस अब चलो
रोहन- गले लगकर बोला पापा आप क्या बोलू मैं मेरे पास शब्द नहीं है
पापा- कोई बात नही बेटा अपने औलाद के लिए माता- पिता कुछ भी कर सकते हैं
चलो अब
रोहन के पापा उसको पैथोलॉजी लेके गए और उसका hiv टेस्ट करवाया
उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी
यह सुनते ही रोहन का बुखार गायब सा हो गया
और डॉक्टर ने बताया इनको कोई बीमारी नहीं थी
बस ये एक वहम था जिसमे इसको लगता था कि मुझे बुखार है और hiv हो गया है.
डॉक्टर बोले कुछ दिन इनको यहां नशा मुक्ति केंद्र में रखेंगे दवा चलेगी ठीक हो जाएंगे
6 महीने इलाज़ चला रोहन एकदम ठीक हो गया
वह अपने गर्त से निकल चुका था
वह स्कूल भी जाने लगा और सब सही हो गया
रोहन अपने पिता के प्रति आज भी समर्पित है
जिन्होंने उसको उस अंधेरे से निकाला.
इस कहानी का उद्देश्य इतना बताना है कि आप कितने भी परेशान हो अपने माँ बाप से खुलकर बात करें क्योंकि उनके अलावा आपकी मदद कोई नहीं कर सकता माँ बाप वो फूल है जो हर बाग में नही खिलते वो बहुत खुशनसीब होता है जिसके माँ बाप ज़िंदा होते है.
इसी पे मैंने चार लाइन लिखने का प्रयास किया है
पिता
कि हज़ार दुख सहकर आंख से आंसू नहीं गिरते
रो लेते हैं अकेले में आँसू नहीं दिखते
ये रिश्ता कुछ अनमोल है औलाद से पिता का
इस रिश्ते जैसे और रिश्ते नहीं होते