हो जाएगा मेरा अंत....
ज़रूरी नहीं, कहे बयाँ, सूर्य निकलता है,
कुछ रंग, स्वयं ही प्रज्वलित निखरते हैं,
शब्द भी, उन्ही रंगों के हैं रंग,
बस, कुछ करते हैं रोशन, कुछ करते हैं भंग,
मेरे शब्द, अब महफ़िल नहीं सजाया है करते,
वे तो, तन्हाई की लकीरों को है भरते,
कैसे रिझाऊँ, कैसे बताऊँ, सब है तुझे पता,
फिर भी, अनजाने में, कर बैठता हूँ खता,
मोहब्बत और साथ, दोनो में है यथार्थ,
ना कहकर भी, सब जानती तू, भली भाँत,
आँसू मेरे, जो कभी बहते नहीं थे,
आज रुकने का नाम लेते नहीं है,
कर नाराज़ तुझे, क्या होगा चैन मुझे,
मत कहना, फ़लसफ़ा है यह सब उलझे,
रात का अंधकार, या सुबह का उजाला,
सब में दिखता है, तेरी ही हाला,
मेरे शब्द, अब और इनमे है नहीं सब्र,
रह जायेंगे यहाँ सब, जब मुझे पुकारे मेरा कब्र,
डर लग रहा है, अशांत है मन,
मत छोड़ जाना मुझे, हो जाएगा मेरा अंत..
डॉक्टर सुमन्त पोद्दार
19.11.19