*थूकेगा इतिहास तुम्हारी*
*चुप्पी या नादानी पर*
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कैसे गर्व करे भारत मां,
हिंदू-हिंदुस्तानी पर?
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।
कभी संत की हत्या होती,
साधू मारे जाते हैं,
कभी कन्हैया के तन से ही,
शीश उतारे जाते हैं,
घाटी में हिंदू के घर,
चुन-चुन हत्यारे आते हैं,
अस्सी प्रतिशत होकर भी,
हम ही संहारे जाते हैं,
कब जागोगे सोने वालों,
तुम इनकी शैतानी पर ?
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।
'धड़ से शीश जुदा', का नारा,
सिर पर चढ़कर बोलेगा ,
अंकित या कमलेश तिवारी,
की हत्या कर तोलेगा,
पाकिस्तानी नारों से,
हम सबके दिल को छोलेगा,
वीर शिवा-राणा के वंशज,
खून भला कब खौलेगा?
बाबू सेकुलर गर्व करेंगे,
कातिल अफ़ज़ल-बानी पर।
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।
भारत मां के बंटवारे में,
यदि ना चूक किए होते,
सन सैंतालिस में ही निर्णय,
तुम दो टूक किए होते,
सावन-भादौं की नदियों में,
ज्यों कुत्ते बह जाते हैं,
ये भी बह जाते,तुम केवल,
मिलकर थूक दिए होते,
पानी फिर ना जाए बोस,
भगत सिंह की कुर्बानी पर।
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।
गंगा-जमुनी,भाईचारा,
सेकुलर केवल नारे हैं,
जब तक हम बहुमत में हैं,
केवल तब तक ही प्यारे हैं,
उनके बच्चों को भी मालुम,
कौन हमारा दुश्मन है?
अपने 'बावन' वाले भी,
कहते हैं "सभी हमारे हैं"।
उनकी देशभक्ति है जैसे,
'पानी लिखना पानी पर।
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर
नेताओं ने वोटों की ,
माया में तुम्हें फंसाया है,
जातिवाद के चक्कर में,
तुमको कमजोर बनाया है,
बाभन, ठाकुर,अगड़ा-पिछड़ा,
दलित बनाकर बांट दिए,
जहां पड़े वह बीस पीसकर,
हमको सबक सिखाया है,
किए भरोसा अब भी बाबू,
जेहादी बिरियानी पर।
थूकेगा इतिहास तुम्हारी,
चुप्पी या नादानी पर।
कसम विवेकानंद -बोस की,
कसम तुम्हें सावरकर की,
जाति-पांति का दहन करो अब,
लाज बचाओ सरवर की,
जिस दिन मुट्ठी बंध जाएगी,
सनातनी फुलवारी की,
साहस नहीं करेगा कोई,
टहनी तोड़ें तरुवर की।
वरना काटे जाओगे,
आपस की खींचातानी पर।
थूकेगा इतिहास तुम्हारी
चुप्पी या नादानी पर।
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