मैं काफी लंबे समय से समय यात्रा पर काम कर रहा हूं .वैज्ञानिकों के अनुसार बिना किसी माध्यम (टाइम मशीन) के समय यात्रा करना संभव नहीं है .
लेकिन मेरा मानना है कि समय यात्रा का टाइममशीन या ब्रह्मांड से कोई लेना देना नहीं है ,हमारी नाडियों के भीतर जमा कचरे को ही टाइम का नाम दिया गया है.
हम समय का पता मूवमेंट के द्वारा ही लगाते हैं .कोई वस्तु (mass या कचरा) हमारी नाड़ियों के भीतर कितना कब्जा जमाती है, उसके आधार पर ही हमें शरीर की उम्र (समय) का पता चलता है.
आइंस्टाइन ने space-time के जिस जाल के बारे में हमें बताया था उसमें स्पेस शरीर की साफ नाड़ियों को कहा गया है और उसमें जमा कचरे को टाइम का नाम दिया गया है .
आइंस्टाइन ने कहा था कि अगर हम तेज गति से मूव करें तो समय हमारे लिए धीमा हो जाता है .इसका अर्थ है कि नीचे से ऊपर उठने वाला रक्त अगर नाडियों में तेज गति से भ्रमण करे ,तो समय की गति (उम्र बढ़ने की रफ्तार) हमारे लिए धीमी हो जाती है यानि हम दूसरों की अपेक्षा ज्यादा लंबा जीवन जीते हैं .
रक्त का नाड़ियों में तेज गति से भ्रमण तभी संभव है जब हमारी नाडियां साफ हों.
आइंस्टाइन ने हमें बताया था कि "time is relative" इसका अर्थ है कि आयुष्य (नाडियों में कचरा जमने की रफ्तार) प्रत्येक प्राणी के लिए अलग अलग होता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्राणी कितना भयभीत है या भयरहित है. भयरहित प्राणी लंबा जीवन जीता है. भयभीत रहना (mass) या भयरहित रहना (energy) मनुष्य के अपने हाथ में होता है और वह जब चाहे अपनी स्थिति में परिवर्तन कर अपने आयुष्य को घटा बढ़ा सकता है.