उनका नाम है मीना ........, उम्र 61वर्ष, केन्द्रीय विद्यालय कैंट, लखनऊ से सेवानिवृत्त शिक्षिका।स्वयं बी.पी., थायराइड और डिप्रेशन की मरीज़ ।पिछले 15 वर्षों पूर्व अपने युवा सैनिक पुत्र लेफ्टिनेंट यश आदित्य(7मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री) की असमय शहादत की घटना से अब तक आहत।
लेकिन वाह रे हौसला, वाह रे जज़्बा! वह दृश्य अभी भी जीवंत हो उठता है|
कोरोना की दूसरी लहर में उनकी कालोनी विज्ञानपुरी, महानगर, लखनऊ का लगभग हर घर प्रभावित था |उनके अपने बहनोई सहित उस समय तक तीन लोगों की मृत्यु भी हो चुकी थी जब का यह वाकया बयान कर रहा हूं ।
उस मरघट से सन्नाटे को चीरती हुई वे सुबह शाम अपनी पड़ोसियों की मदद करने में संलग्न थीं ।कहीं रात का खाना पहुंचवाना होता तो कहीं दुकान से दवाइयां या सब्जी मंगवाकर देनी होती थीं ।कालोनी के देसी कुत्तों को भी तो उन्हें सुबह शाम रोटियां डालते देखा था इन आंखों ने! सिर्फ़ वे ही नहीं उस कालोनी के तमाम लोग राहत और बचाव कार्य में लगकर अपनी सहृदयता और सदाशयता का परिचय दे रहे थे.... कन्हैया लाल वर्मा, गौरी वशिष्ठ, सुधा मिश्रा.....
हां उन सभी के पास एक युवा सहायक बांके बिहारी इस काम में मदद कर रहे थे , उनका नाम क्यों न लिया जाय! विनाशकारी कोरोना आपदा का यह अन्धेरा अभी पूरी तरह नहीं छंट पाया है और इन समाज सेवा उत्साहियों का जोश भी कम नहीं हुआ है |आइये सलाम कीजिये इन शूरवीरों को!
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प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी,
डी.-9,विज्ञानपुरी, महानगर, लखनऊ-226006
मोबाइल-9839229128