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इलज़ाम

20 अक्टूबर 2016

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हर दिन एक नया इल्ज़ाम

समझ नहीं आता कि कैसे, बदलें अपना चाम

कोई कहता कठमुल्ला तो कहता कोई वाम

ताना कसते इस अंगने में नहीं तुम्हारा काम

कैसे आगे आयें देखो लगा हुआ है जाम

ये ही दुःख है हर घटना में लेते हमारा नाम

कैसे आयें मुख्यधारा में भटक रहे दिनमान

हर दिन एक नया इल्ज़ाम...

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इलज़ाम

20 अक्टूबर 2016
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हर दिन एक नया इल्ज़ामसमझ नहीं आता कि कैसे, बदलें अपना चाम कोई कहता कठमुल्ला तो कहता कोई वाम ताना कसते इस अंगने में नहीं तुम्हारा काम कैसे आगे आयें देखो लगा हुआ है जाम ये ही दुःख है हर घटना में लेते हमारा नाम कैसे आयें मुख्यधारा में भटक रहे दिनमान हर दिन एक नया इ

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-----------------शहंशाह आलम मैं बेहतर ढंग से रच सकता था प्रेम-प्रसंग तुम्हारे लिए ज़्यादा फ़ायदा था इसमें और ज़्यादा मज़ा भी लेकिन मैंने तैयार किया अपने-आपको अपने ही गान का गला घोंट देने के लिए… # मायकोव्स्की मायकोव्स्की को ऐसा अतिशय भावुकता में अथवा अपने विचारों को अतिशयीक

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