हर दिन एक नया इल्ज़ाम
समझ नहीं आता कि कैसे, बदलें अपना चाम
कोई कहता कठमुल्ला तो कहता कोई वाम
ताना कसते इस अंगने में नहीं तुम्हारा काम
कैसे आगे आयें देखो लगा हुआ है जाम
ये ही दुःख है हर घटना में लेते हमारा नाम
कैसे आयें मुख्यधारा में भटक रहे दिनमान
हर दिन एक नया इल्ज़ाम...