तुमको चाहती रही उतना खुद को खोती रही..
सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..
मुझसे मिलने की कोई शर्त तुम निभा ना पाए..
मंजिल पीछे रह गई तुम कभी ही मुड़ना पाए..
महकते गुलाब से दिल का आंगन सजाती रही..
सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..
तेरी बेइंतहा मोहब्बत ही मेरी पहचान रही..
दुनिया की रस्मों-रिवाजों से वो अनजान रही..
ख्वाबों में मोहब्बत का आशियाना बनाती रही.
सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..
टूट कर बिखर दिल बेवफाई पर रोने लगा है..
दर्द की दास्तान अल्फाजों में सजाने लगा है..
तन्हाइयों में तेरी यादें मुझे कितना सताती रही..
सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..
रहती थी कभी तुम्हारी हर खुशी में शामिल..
एक पैगाम भेजो ना रही इस के भी काबिल..
वो प्यार भरी बातें भी अब तुमको चुभती रही..
सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..
दिल के दर्द का दरिया ना जाने कब फूट जाए
कहने दो,,ना जाने सब्र का बांध कब टूट जाए
आंखों के सैलाब को मुस्कुराहट से बांधती रही
सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..
kanchan savi...