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बिना शर्त का प्यार

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ऐ प्यार मेरे, मुझे प्यार करना तो सिखा दो,भूल जाऊं गम सारे, आंसुओं से तरना तो सिखा दो,कि ना डरुं, आजमाईश से उस वक्त कि मैं कभी,तमस मैं तप कर, स्वर्ण बनना तो सिखा दो,ऐ प्यार मेरी तुझे प्यार करना तो सिखा

है प्यार तो मेरी एक शर्त को मंजूर कर || बेशर्त हो प्यार ये शर्त भी मंजूर कर || हो कुछ दरमियाँ वास्ते तेरे मेरे, करके बयाँ अब हर कमी को दूर कर | वादों का एक कारवाँ लिखते हैं चल, जो लिख गया सो आज वो बदल

किसी भी विषय या वस्तु मे इंसान की औकात की रूपरेखा को देखने व दिखाने के लिये जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे शर्त कहते है अब बात करे बिना शर्त के प्यार की तो बिना शर्त के आज की दुनिया में कुछ भी सं

प्रेम वह एहसास है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।सच्चा प्रेम वही है जहां कोई शर्त नहीं,। यदि शर्त है तो वह तो मोलभाव है प्रेम कैसा। मीरा का प्रेम देखिए कृष्ण को खुद आना पड़ा। जब जब  विपदा

तुमको चाहती रही उतना खुद को खोती रही..सनम..बिना शर्त के प्यार में हमेशा निभाती रही..मुझसे मिलने की कोई शर्त तुम निभा ना पाए..मंजिल पीछे रह गई तुम कभी ही मुड़ना पाए..महकते गुलाब से दिल का आंगन सजाती रह

प्रिय सखी।कैसी हो ।लो हम फिर से मुखातिब है तुम से ।जब तुम से अलविदा कह रहे थे पिछले सीजन में तो मन उदास हो रहा था सोचा था अगले सीजन में भाग नहीं लेंगे पर देखो तुम्हारा बिना शर्त का प्यार हमें खींच ही

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प्रेम क्या है? प्रेम कैसे करे? प्रेम दो जीवो के बीच एक भावनात्मक हार्दिक संबंध है। प्रेम के कई स्तर होते है जैसे लेन देन वाला प्रेम जिसमे हमें कुछ जरुरत होती है वो चीज उसके पास होता है उसे पाने के

ना कोई कसमें थी,ना कोई रस्में थी।हम दोनों के दिल थे,भावनाओं की तिलिस्में थी।ना चाहत थी धन दौलत की,ना दुनिया से मोह था।हमें सिर्फ प्यार की हर खुशी से दिल से दिल तक मोह था।।निस्वार्थ, निस्संदेह, निर्णय

दुर्बलता, उदासीनता और निराशा जैसे उसके जीवन का अंग बन चुका था, ना जाने क्यों इतनी प्रसिद्धि पाने के बाद जिस कारण से  कुछ दिनों से जिस भी प्रोजेक्ट को अपने हाथ में लेता, उसे निराशा ही हाथ लगती है,

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