किसी की हार हुई.... कोई बाजी जीत गया..
इतनी उलझनों से ..उलझा हुआ साल बीत गया..!!
नववर्ष की बेला में अब नए निश्चय करेंगे..
ख्वाब जो भी हो अब पूरा अवश्य ही करेंगे..
छोड़ो दामन उसका जो भी रीत थी बीत गया..
इतनी उलझनों से उलझा हुआ साल बीत गया..!!
अब नई आशा नई उमंग राह देख रही है..
वो कामयाबी की मंजिल हमें पुकार रही है..
उनसे बंधन तोड़ो जो अतीत सा बीत गया..
इतनी उलझनों से उलझा हुआ साल बीत गया..!!
नई सरगम से नई धुन की तान अब छेड़ेंगे..
गीत मोहब्बत का...अब हम खुद ही गड़ेगे..
क्या हुआ जो भूल मैं पुराना वो संगीत गया..
इतनी उलझनों से उलझा हुआ साल बीत गया..!!
लगा नहीं कुछ भी हाथ सब खाली ही रहा..
तेरे दर पर आकर कंगाल तेरा सवाली रहा..
ये गुजरा हुआ समय जैसे,,मेरे विपरीत गया..
इतनी उलझनों से उलझा हुआ साल बीत गया..!!
बहुत से नए मुसाफिर..मिलेंगे फिर राहों में..
हम भी अजीज बनेंगे..किसी की निगाहों में..
कोई बात नहीं जो छोड़कर मुझे मेरा मीत गया
इतनी उलझनों से उलझा हुआ साल बीत गया..!!
kanchan"savi"💓