संवेदनाएँ जिसमें सृजित हो,कंठ पे आती बार बार हैं।
अये प्रियवादिनी हिन्दी भाषा,हमको तुमसे प्यार हैं।।
मातृभाषा तू,हैं माता का वात्सल्य तुझमें।
कतरा भर भी रहता कहाँ,अये भाषा छल तुझमें।।
पुरातन से सभ्यता तक,तेरे दीवाने कई हजार हैं।
अये प्रियवादिनी हिन्दी भाषा,हमको तुमसे प्यार हैं।।
नभ को स्पर्श कर दे तू,हैं तुझसे ही देशभक्ति।
सरस सलिला तू पावन,तुझसे ही हैं कंठ की शक्ति।।
चाहत को बयां हम कर सके,तुझसे ही ऐतबार हैं।
अये प्रियवादिनी हिन्दी भाषा,हमको तुमसे प्यार हैं।।
मैं हिन्दी भाषी हूँ,मुझपे ये अभिमान हैं।
तुम्हें आत्मसात करने पर,मेरा स्वाभिमान हैं।।
हर साँस में तू रहती साथ,तुझपे जान निसार हैं।
अये प्रियवादिनी हिन्दी भाषा,हमको तुमसे प्यार हैं।।
संवेदनाएँ जिसमें सृजित हो,कंठ पे आती बार बार हैं।
अये प्रियवादिनी हिन्दी भाषा,हमको तुमसे प्यार हैं।।