**"ओम नमः शिवाय**
मेरा नाम मीरा है और आप सब के लिए में हु कन्हा की मीरा...
में अपनी पहेली कहानी जो मेने पहले गुजरती में लिखी है उसे हिन्दी में ले कर आयी हु....
हिन्दी में ये मेरी पहेली कहानी है अगर मुझसे कोई भूल हो तो मुझे माफ़ करना और मुझे ये जरूर बताना की मेरी भूल क्या है तो में अगली बार उसे सुधर सकू...
आशा रखती हु की आपको मेरी ये कहानी पसंद आएगी...
में इस कहानी के माध्यम से सुपर लेखक अवार्ड्स - 6 में भाग ले रही हु....
** इश्क़ होना ही था - भाग - 1**
यह कहानी एक दीया नाम की लड़की है, जिसका आज ही ब्रेकअप हो गया है। इसलिए वह किसी से बात नहीं रही , और अपने कमरे में अकेली बैठी है। उसके बॉयफ्रेंड के साथ बिताए वक्त को याद कर रही है, उसे ऐसा लगता है कि अब उसके जीवन में कुछ नहीं बचा है, बस वह अपने विचारों में खो जाती है, तफी उसका फोन रिंग करता है, वह उसके विचारों में से बाहर आती है, और जब उसके फोन पर देखती है तो भाविका नाम देखती है और वो उसके कॉलेज की दोस्त है।
फोन की रिंग बार बार बजती रहती है पर दिया जो अपने फोन पर दयान ही नहीं देती पर 3-४ बार रिंग बजने के बाद भाविका फोन करना बंद करती है । तभी दिया की माँ उसके रूम का दरवाजा नोक करती है ।
दिया पहले अपने आशु साफ करती है फिर दरवाजा खोलती है ।
"बेटा, भाविका तुमे कब से कॉल कर रही है..."
सुनीता बेन उसे बोलते है।
"मेरा फोन साइलेंट था इस लिए..."
दिया बोलती है और अपनी मम्मी के हाथ से फोन ले लेती है...
"हां, बोलो भाविका..."
दिया फ़ोन उठाती है और भाविका के साथ बात करने लगती है...
"तुम आज कॉलेज क्यू नहीं आई...?"
भाविका पूछती है...
दिया अपनी सारी बाते एक एक करके बताने लगती है...
"जो हुआ है, वह हो गया है, अब तुझे एक परीक्षा के लिएकरनी ही होगी, तो कॉलेज आना ही होगा..."
भाविका दिया को समजने के लिए बोलती है...
भाविका उसे अगले दिन कॉलेज आने के लिए बहोत मनाती है और दूसरे दिन कॉलेज आने का बोल कर फोन रख देती है ....
दिया फिरसे सब कुछ सोचने लगती है की किस तरह वो दोनों मिले थे और कैसे एक दूसरे को आपने दिल की बात बताई थी ये सब सोचते सोचते दिया सो जाती है...
*****
२-३ दिन हो जाते है पर अभी तक दिया कॉलेज नहीं गई थी, रोज भाविका उसे कॉल करती थी और कॉलेज आने के लिए मनाती थी पर दिया फिर भी कॉलेज नहीं जाती है...
भाविका सोचती है की मुझे ही अब दिया के घर जाकर उसे समजाना होगा तभी वो मानेगी....
वो कॉलेज से सीधी दिया के घर आ जाती है....
दिया अपने कमरे में ही बैठी होती है...
"दिया,अब हमारी परीक्षा आने में एक हप्ता ही बाकी रह गया है और तुम अब कॉलेज नहीं आई तो आगे प्रॉब्लम हो सकती है तो तुम कल से कॉलेज आना ही होगा..."
भाविका दिया को समजने के लिए बोलती है...
दिया को समजाना थोड़ा मुश्किल था और आखिर में वो मान ही जाती है...
("ऐसा क्यों होता है एक व्यक्ति सब कुछ सामने वाले को सब कुछ मान लेता है और दूसरे व्यक्ति कोई सामने वाले की कोई चिंता ही नहीं होती...")
*****
अब थोड़े दिनों से दिया रोज कॉलेज जाने लगती है...
आज वो घर आती है और अपने कमरे में एक किताब खोज रही होती है तभी उसे एक किताब में एक कागज मिलता है...
उसे देखते ही दिया को फिर से साडी बाते यद् आने लगती है...
वो अपने विचारों में खो जाती है, उसे बस ऐसा ही लगता है, उसमे ही कोई थी, इसलिए वह उसे छोड़कर चला गया है...
"दिया बेटा, तुम्हारे भाई का फ़ोन आया है..."
सुनीता बहन उसे बुलाती है...
उसने यह सुनकर जल्दी से नीचे जाती है, और वहां भाई से बात कर रही होती है...
दिया का भाई, सोहम, जो पांच सालों से बाहर ही रहता है , वह वहीं पर काम कर रहा है...
"भाई, तुम घर कब आ रहे हो...?
दिया उसके भाई से पूछती है...
"हां, हम जल्दी ही आ रहे हैं..."
सोहम बोलता हैं ...
वो पहले तो सोचती है की अपने भाई को सारी बाते बताये पर फिर वो ये सोच कर की अब बताने से भी कोई फ़ायदा नहीं है....
"दिया....दिया...."
सोहम बोलता है....
"हा...."
दिया बोलती है...
"अरे बात करते करते कहा खो गयी..."
सोहम बोलता है....
"अरे कुछ नहीं, तुम बताओ काम केसा चल रहा है..."
दिया बोलती है...
आज सोहम से इतने दिनों बाद बात करने के बाद वो बहोत खुश हो जाती है और अपनी साडी बाते भूल जाती है फिर वो आपने रूम में जाकर पढ़ने लगती है...
*****
दिया की परीक्षा शुरू हो चुकी है, और अब वह पूरी ध्यान अपनी परीक्षा में लगा रही है...
अब धीरे-धीरे दिया सब कुछ भूल रही है...
देखते देखते परीक्षा भी पूरी हो जाती है, और छुट्टियां शुरू हो जाती हैं...
छुटियो में वो आपने भाई से मिलने जाने के बारे में सोचती है और ये बताने के लिए वो अपनी मम्मी के पास जाती है...
सुनीता बहन कोई काम कर रही होती है तो दिया भी काम में मदद करवाने लगती है...
"मम्मी में सोच रही हु की भाई से मिल कर आती हु..."
दिया बोलती है...
"है वैसे भी बहोत समय हो गया है..."
सुनीता बहन बोलती है...
दिया अपने मम्मी के साथ काम करते करते बात कर रही होती है तभी उसके फोन में किसीका मेसेज आता है, ये देख कर वो बहोत खुश हो जाती है....
"मम्मी आप ये काम करिये में अभी आती हु..."
दिया बोलती है और भाग क्र अपने रूम में चली जाती है....
"अब इसे क्या हो गया..."
सुनीता बहन बोलते है...
"ये मेसेज किसका होगा...?"
"क्या यह उसके बॉयफ्रेंड का हो सकता है...?"
"या तो दिया के जीवन में कोई नई सुरुवात होने वाली है...?"
ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ....
इश्क़ होना ही था....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना...
इश्क़ होना ही था का part-2 आपके सामने 19 september को आ जायेगा...
इस कहानी में जुड़ने के लिए आप सभी का सुक्रिया...