वसंत का स्पर्श
वसंत का स्पर्श / वसंत का स्पर्शअब आनंद नहीं हैआदमी की आँखों में ।'जले पर छिड़कागया नमक है ।'कोई आशा बाकी नहीं हैआदमी के भीतरसोये आदमी के जगने की ।बेशक !जिस गति सेबढ़ रही हैयह दुनियाँ आगे-आगे उसी रफ़्तार सेजा रहा हैआदमी पीछे-पीछे ।यकीन है कि -भविष्य की दुनियाँ मेंसब-कुछ होगासारा साज़-ओ-सामानहोगा ऐश्व