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जब निभा ना सको तो रिश्ते बनाते क्यों हो,
नाज़ुक है ये, इसे हर बार दुखाते क्यों हो,
मेरे साथ यूं पहली दफा नहीं हुआ है,
तू कोई पहला नहीं है जो मुझसे खफा हुआ है,
भरोसे की बाते तुम नहीं करो तो अच्छा है,
क्यों हमेशा मेरा ही कटा है,
ये इश्क है जनाब पहले जैसा नहीं रहा ,
ये मंदिर के प्रसाद की तरह सब में बटा है,
जवानी ने सब कुछ छीन लिया मुझसे,
जो भी मुझे उपहार मुझे बचपन से मिला है,
मेरी मां मुझे अपना कह को बुला लेती थी,
मेरी गलतियों को भी सब से छुपा लेती थी,
जब भी मै रोता था तकलीफ मे,
सब काम को छोड़कर मुझे सीने से
लगा लेती थी,
कैसे करूं मै तेरा शुक्रिया आप जैसा कोई नहीं है,
मां से करू मै अगर तुलना तो उसके बराबर खुदा
भी नहीं है,
मेरा चैन और सुकून सब मेरा मां के ही पास था,
उसकी याद आज भी मुझे जन्नत सा अहसास था,
जय भारत मां। जय जननी मां