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ज़िंदगी

18 जून 2023

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जिंदगी  जो दुनिया का सबसे रहस्यमई राज़ है। इस राज़ का ना तो कोई आज तक पता लगा पाया है और ना ही कोई लगा पाएगा। कोई नहीं जानता कि इस दुनिया में उसे कब तक जीवित रहना है और ना ही कोई यह जान‌ पाया है कि एक बार मरने के बाद हमें पुनर्जन्म मिलेगा भी या नहीं। अगर मैं अपनी बात करूं तो मुझे नहीं लगता कि पुनर्जन्म जैसी कोई बात होती है और अगर हमारा दुबारा जन्म होता भी होगा तो भी इतना तो स्पष्ट है कि इस जन्म में  जो हमारे पास शरीर या जो‌ लोग आज हमसे जुड़ें हुए है वो हमें दुबारा कभी नहीं मिलते । तो जब हमें यह बात स्पष्ट ही नहीं है कि हमारे पास इस दुनिया में दुबारा आने का कोई चांस है या नहीं , जब हम यह जानते ही नहीं कि हमारा पुनर्जन्म होगा भी या नहीं तो हमें अपनी और दूसरों की जिंदगी की अहमियत को समझना चाहिए। वैसे हमने कई किताबों में लिखा हुआ पढ़ा या सुना होता है कि जिंदगी एक अनमोल तोहफ़ा है और हम सभी यह भी जानते हैं कि जिंदगी एक मात्र ऐसी वस्तु है (वैसे हम इसे वस्तु नहीं बोल सकते लेकिन इस वक्त मेरे पास इसे डिफाइन करने के लिए कोई शब्द नहीं है तो इसलिए मैं यहां वस्तु शब्द का उपयोग कर रही हूं) जिसकी कीमत आज तक कोई  नहीं लगा पाया है।  और ना ही आने वाले समय में कोई ऐसा कर सकता है। इसके आगे अमीर से अमीर आदमी भी बेबस होता है, उसे भी उतनी ही जिंदगी जीनी पड़ती है जितनी उसकी लिखी होती है। वो पैसे की ताकत से इसकी अवधि बढ़ा या घटा नहीं सकता। न ही ऐसा हो सकता है कि कोई मां- बाप अपने बच्चों के जीने की अवधि बढ़ा दें और उसके बदले में अपने जीने की अवधि को घटा दे। तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि हमारा अपनी और किसी दूसरे की जिंदगी पर कोई ज़ोर नहीं होता, हमारे पास केवल उतना ही समय होता है जितना हमें ऊपर वाले द्वारा दिया जाता है।  मृत्यु हमारे जीवन का अटल सत्य है इस सच्चाई से भी हम अच्छी तरह से वाकिफ हैं। लेकिन पता नहीं क्यूं इतना सब कुछ जानते हुए भी लोग दूसरों की जिंदगी को रिमोट कंट्रोल कार की तरह क्यूं कंट्रोल करते हैं, खासकर हमारे भारत में जो कि पुरुष प्रधान देश है और यहां औरतों को पुरुषों के मुताबिक ही चलना पड़ता है, वह न तो अपनी मर्ज़ी का पहनावा पहन सकती हैं, न अपनी मर्ज़ी से कुछ ( ऐम डॉक्टर आदि ) बन सकती हैं, यहां तक की उन्हें उनकी जिंदगी के अहम फैसले लेने की भी छूट नहीं होती। उनकी पूरी जिंदगी दूसरों की आज्ञा मानने में ही निकल जाती है। कुछ ही औरतें ऐसी हैं जिनके साथ ऐसा नहीं होता और उनके साथ ऐसा बर्ताव ना होने के दो कारण हो सकते हैं , पहला यह कि उनके घर वाले छोटी सोच नहीं रखते होंगे और दूसरा और अहम कारण यह हो सकता है कि वह इस वाक्य: जिदंगी एक अनमोल तोहफ़ा है में उपयोग किए गए शब्द जिंदगी और अनमोल की अहमियत को अच्छी तरह समझते होंगे। अगर मैं अपनी बात करूं तो मैं ऐसी औरतों या ऐसे हर एक सदस्य के लिए दिल से खुश हूं जिन्हें उनकी जिंदगी के अहम फैसले करने की छूट दी गई है।क्यूंकि ऊपर वाले ने हमें  दिमाग इसीलिए दिया है तांकि हम इसकी मदद से अपनी जिंदगी के फैसले लेकर इसे आसान बना सकें।ये मौका हमें केवल एक बार मिलता है, ऊपर वाला हमें केवल एक बार ही जीवन देता है कुछ लोग अपनी जिंदगी के अहम फैसले लेकर अपनी जिंदगी को स्वर्ग बना लेते हैं, अपनी मंजिल को हासिल करके सुकून पा लेते हैं तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो दूसरों की मर्जी के तले दबकर रह जाते हैं। ऐसे में उन्हें उनकी जिंदगी नरक के सिवाय और कुछ नहीं लगती ये लोग वही  होते हैं जिनमें से कुछ खुदकुशी कर लेते हैं और कुछ पल- पल  मौत के आने का इंतजार करते रहते हैं। हमारे भारत में ऐसे लोगों की संख्या बहुत अधिक है। ये मेरा मानना है हो सकता है कुछ लोग मेरी इस बात से एग्री ना हों  लेकिन मुझे इतना जरूर यकीन है कि मेरी इस बात पर गांव के लोग जरूर सहमत होंगे और होना भी चाहिए क्योंकि गांव में लोग अपनी जिंदगी से ज्यादा दूसरों की जिंदगी को कंट्रोल करते हैं । शायद इसका कारण अनपढ़ता हो सकता है। मैंने यहां शायद इसीलिए लगाया है क्योंकि इसका कारण अनपढ़ता का होना ही है यह स्पष्ट नहीं है क्यूंकि पढ़ें लिखे लोग भी अक्सर दूसरों की जिंदगी को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं और कंट्रोल करते भी हैं। लेकिन यह ठीक नहीं है, मैं यह नहीं कह रही कि मां बाप का बच्चों की जिंदगी पर कोई अधिकार नहीं होता और न ही यह कह रही हूं कि पैरेंट्स को अपने बच्चों को बिलकुल ही खुला छोड़ देना चाहिए क्यूंकि यह  उनका हक होता है की वह अपने बच्चों की जिंदगी के फैसले लें। लेकिन जो बच्चों की जिंदगी के अहम फैसले होते हैं उन फैसलों को उन्हें खुद करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। जैसे कि अगर कोई बच्चा डॉक्टर बनना चाहता है तो उसके मां बाप को चाहिए कि उसे डॉक्टर ही बनने दिया जाए न की उस पर अपने फैसले थोपकर उसे टीचर बनने के लिए मजबूर  किया जाना चाहिए। मान लीजिए कि मां बाप की ज़िद के चलते बच्चा टीचर बन गया लेकिन उसकी जो  डॉक्टर बनने की इच्छा थी वो उसे हमेशा के लिए परेशान करेगी। उसे हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा की उसे उसकी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला नहीं लेने दिया गया और जिंदगी जो उसे मिली थी वो भी उसे किसी की मर्जी के अनुसार जीनी पड़ी। कुछ जीनियस लोग यह कहेंगे कि एक बच्चा टीचर या डॉक्टर कैसे बन सकता है , मैं यहां क्लीयर कर दूं कि मैंने यहां बच्चा शब्द इसलिए यूज़ किया है क्योंकि हर व्यक्ति चाहे वो कितना भी बड़ा क्यों न हो मां- बाप के लिए वो बच्चा ही होता है। खैर लड़के तो फिर भी अपने मां बाप की बात को इतना सीरियस नहीं लेते वो फिर भी कहीं न कहीं अपनी मनमर्जी कर ही जाते हैं और न ही मां बाप उनको ज्यादा रोकटोक करते हैं लेकिन वो लड़कियों के मामले में ऐसा नहीं करते बिचारी लड़कियां बुरी तरह से समाज की शिकार बनती हैं। लड़कियों की जिंदगी को तो रिमोट कंट्रोल कार से भी ज्यादा कंट्रोल किया जाता है।            एक बार मैंने सोशल मीडिया पर एक शोर्ट वीडियो देखी थी शायद आप लोगों ने भी देखी अब मुझे ठीक से याद तो नहीं आ रहा कि मैंने वो वीडियो किस प्लेटफार्म पर देखी थी शायद इंस्टाग्राम पर हो खैर छोड़ो कहीं भी देखी हो । तो उस वीडियो में दिखाया गया था कि एक लड़की है जो पायल पहनना चाहती है लेकिन उसका ये शौंक कभी पूरा नहीं होता। मुझे इस वीडियो से जो कुछ समझ में आया मैंने वहीं अपने शब्दों में यहां समझाने की कोशिश की है होता क्या है कि एक छोटी सी लड़की होती है जो अपने पैरों में पायल पहनना चाहती है। जब वह  लड़की अपने पापा को अपनी इस इच्छा के बारे में बताती है तो उसके पापा उससे समझाते हुए कहते है कि अभी तू बहुत छोटी है थोड़ी बड़ी हो जा फिर पायल पहन लेना। कुछ वर्ष बीतते हैं और अब वो लड़की बड़ी हो चुकी है अबकी बार जब वो पायल पहनने की जिद करती है तो उसकी मम्मी कहती है कि अभी तू कुंवारी है अगर तू अभी से पायल पहनेंगी तो लोग क्या कहेंगे, देख बेटियां माइके में हार श्रिंगार करती अच्छी नहीं लगतीं । एक बार तेरी शादी हो जाए फिर जो मन करे वो पहनना। समय फिर अपनी रफ़्तार पकड़ता है और उस लड़की की शादी भी हो जाती है। अब शादी के बाद जब लड़की पायल पहनती है तो उसका पति उसके पैरों में से वो पायल निकलवा देता है और कहता है कि अब तुम पर  घर की इतनी सारी जिम्मेदारियां हैं , अब ऐसी चीज़ों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। तुम इस पायल को फिर कभी पहन लेना । फिर समय की सुई आगे बढ़ती है और वहां पहुंच जाती है जहां अब वो लड़की बूढ़ी हो चुकी है। उसके हाथ पांव कांप रहे हैं   वो अपनी पायल अपने पैरों में पहनने की कोशिश कर रही है कि तभी उसका बेटा वहां आ जाता है और अपनी मां को पैरों में पायल पहनते हुए देखकर कहता है कि मां ये आप क्या कर रही हो इस उम्र में आपको पायल पहनना शोभा नहीं देता। अब आपकी उम्र हो चुकी है ये सब शौंक आपको आपकी भरी जवानी में पूरे करने चाहिए थे। अपने बेटे की बातें सुनकर वो औरत अपनी पायल वहीं रख देती है। तो इस प्रकार इस कहानी में पायल पहनना एक हिसाब से लड़की का सपना बन जाता है या यूं कह सकते हैं कि उसकी उसकी जिंदगी का मोटिव बन जाता है । लेकिन उसके और उसके सपने के बीच उसके अपने ही दीवार बनकर खड़े हो जाते हैं वो उसकी जिंदगी को कमान को अपने हाथों में ले लेते हैं और उसे उसका सपना कभी पूरा नहीं करने देते। मुझे लगता है इसके बाद  वो बिचारी अपनी मौत के इंतज़ार के सिवाए और कुछ नहीं करती होगी और अपने सपने के बारे में सोच सोचकर हर पल , हर वक्त मरती होगी। वैसे वो  इससे पहले भी कई बार मार चुकी थी वो उतनी ही बार मरी थी जितनी बार उससे पायल पहनने से मना किया गया था और उसे बार बार मारने वाले लोगों मे और कोई नहीं उसका अपना पिता, उसकी अपनी मां, उसका  पति और उसका बेटा थे।                                          शायद ये सभी लोग उसकी जिंदगी पर अपना अधिकार समझते होंगे । लेकिन जब इनमे से कोई भी व्यक्ति उस लड़की की जिंदगी की मियाद बढ़ा नही सकता या ऐसा कुछ नही कर सकता जिससे ये सुनिश्चित हो जाए कि जिंदगी जैसा अनमोल तोहफ़ा उस लड़की को फिर से मिल जाए तो इन सभी का कोई हक़ नहीं बनता कि यह लोग उसके जिंदगी रूपक तोहफ़े को बर्बाद करें। ना ही इन लोगों का हक बनता था कि यह लोग उस लड़की पर अपने फैसलों को थोपें और उससे उसकी जिंदगी के फ़ैसले करने का अधिकार छीनें जो शायद उसे आखरी बार मिला था।  जब हमें यह स्पष्ट ही नहीं  कि पुनर्जन्म होता है या नहीं तो आखरी बार ही कहेंगे। मेरे हिसाब से अगर इस दुनिया सबसे बड़ा कोई पाप  है तो वो है किसी व्यक्ति को अपने अनुसार चलाना , उसकी जिंदगी को कंट्रोल करना । भगवान ने हम सबको जिंदगी जैसा अनमोल तोहफ़ा दिया है तो हमें चाहिए कि हम अपनी अपनी जिंदगी के फैसले लें और जो कोई जिस तरीके से अपनी जिंदगी जीना चाहता है उसे जीने दिया जाए । क्यूंकि क्या पता उसे यह मौका दुबारा मिलेगा या नहीं। जब हम अपने फैसले दूसरों पर थोपते हैं तो हमारे ग़लत फैसले ना जाने कितने लोगों की जिंदगी ख़राब करते हैं।

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मेरी यह पुस्तक जिंदगी के महत्व के बारे मे है। जिंदगी जो दुनिया का सबसे रहस्यमई राज़ है। इस राज़ का ना तो कोई आज तक पता लगा पाया है और ना ही कोई लगा पाएगा। कोई नहीं जानता कि इस दुनिया में उसे कब तक जीवित रहना है और ना ही कोई यह जान पाया है कि एक बार मरने के बाद हमें पुनर्जन्म मिलेगा भी या नहीं। अगर मैं अपनी बात करूं तो मुझे नहीं लगता कि पुनर्जन्म जैसी कोई बात होती है और अगर हमारा दुबारा जन्म होता भी होगा तो भी इतना तो स्पष्ट है कि इस जन्म में जो हमारे पास शरीर या जो लोग आज हमसे जुड़े हुए है वो हमें दुबारा कभी नहीं मिलते।
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