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साइलेंट किलर भाग- 1

12 अगस्त 2023

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‌कहानी शुरू होती है जेल से यहां लोहे की सलाखों के पीछे एक सुंदर, लंबे बालों वाली और मासूम दिखने वाली किंतु हमेशा खामोश रहने वाली लड़की नित्या (25) क़ैद है। नित्या के ऊपर पांच कत्ल करने का आरोप है। जब नित्या से कोई उसके ऊपर लगे आरोपों के बारे में पूछा जाता है तो वह किसी को कुछ नहीं बताती बस खामोश बैठी रहती है। ना ही वह जेल में बंद अन्य कैदियों से बात करती है।   क़ैदी औरतें उसकी चुप्पी से डरती हैं, इसलिए उन्होंने उसके साथ रहने से मना कर दिया । शायद इसी कारण है उसे सैल में अकेले रखा गया है। इन सब बातों के चलते जेल वालों ने नित्या को साइलेंट किलर कहना शुरू कर दिया।


🌄सुबह का समय

नित्या अपने सैल में चुपचाप बैठी हुई है। उसे देखकर उसके सामने वाले सैल में क़ैद दो औरतें आपस में बातें कर रही हैं।


पहली औरत (दूसरी औरत से): (नित्या की ओर इशारा करके) इसे देख रही हो, सुना है इसने पांच - पांच कत्ल किए हैं।

दूसरी औरत (हैरान होकर): हां! पांच कत्ल और इसने ! मैं तो नहीं मानती, मेरा छोड़ो इसके भोलेभाले और मासूम चेहरे को देखकर कोई भी नहीं मानेगा कि इसने कत्ल  किया है।

पहली औरत (आगे से जवाब देते हुए): अरे बहन.. इसके चेहरे पर मत जा और किसी के मानने या ना मानने से सच बदल थोड़ी जाएगा। सच तो यही है ना कि इसने पांच कत्ल किए हैं जिसमें तीन तो इसके घर के मेंबर ही थे।

दूसरी औरत (आगे से): मुझे तो लगता है कि यह बिचारी पागल है। इसलिए तो हमेशा अकेली और खामोश बैठी रहती है। और वैसे भी भला कोई अपने ही परिवार वालों को क्यूं मारेगा?

पहली औरत: मुझे तो लगता है कि यह नाटक कर रही है, पागल होने का । तुम खुद ही सोचो अगर यह पागल है तो इसने खुद को कोई नुक्सान क्यों नहीं पहुंचाया? दूसरों को ही क्यों मारा ?


वो दोनों औरतें आपस में बात कर ही रही होती है कि तभी उनके सैल की सलाखों पर कोई डंडा मारता है और वो दोनों चुप कर जाती हैं। यह और कोई नहीं इंस्पेक्टर गरिमा(35) है जो अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करती है।‌ वह नित्या से उसके ऊपर लगे आरोपों के बारे में पूछताछ करना चाहती है।


इंस्पेक्टर गरिमा ( नित्या के सैल के बाहर खड़े हवलदार को डंडे से इशारा करते हुए): इसे खोलो।

हवलदार(32),(हड़बड़ाहट में): जी मैडम खोलता हूं।


दूसरी तरफ नित्या को उसके सैल का दरवाजा खुलने और किसी के अंदर आने की आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही है । लेकिन वह कुछ रिएक्ट नहीं करती बस चुपचाप दीवार की ओर मुंह करके
बैठी रहती है। और गरिमा उससे बात करने की कोशिश करती है।


इंस्पेक्टर गरिमा (नित्या से): तुम्हें आज यहां आए हुए पूरे पंद्रह दिन हो चुके है पर तुमने अब तक ना अपना जुर्म कबूला है और ना ही अपनी सफाई में कुछ कहा है। अगर तुम ऐसे ही खामोश रही तो कैसे चलेगा ? बताओ? कुछ तो बोलो।

हवलदार (सैल के बाहर से): मैडम मुझे नहीं लगता कि यह आपको कुछ बताएगी।‌ जितने दिन इसे यहां आए हुए हो गये है उतने ही दिन आपको इससे पूछताछ करते हो गये है। लेकिन यह है कि इसने आपको एक शब्द तक नहीं बताया।

इंस्पेक्टर गरिमा (नित्या की ओर देखते हुए): नहीं श्लोक मुझे पूरी उम्मीद है कि नित्या एक दिन अपनी चुप्पी जरूर तोड़ेगी और मैं तब तक कोशिश करती रहूंगी जब तक नित्या मुझे अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में बता नहीं देती।


नित्या बिना कोई रिएक्ट किए इंस्पेक्टर गरिमा और हवलदार श्लोक की बातें सुनती रहती है। नित्या के रिएक्ट न करने पर गरिमा एक बार फिर वहां से निराश होकर लौट जाती है। उसके जाते ही श्लोक सैल के दरवाजे को फिर से लौक करने लगता है और लौक लगाते हुए अपने आप में बड़बड़ाता है।


श्लोक (बड़बड़ाते हुए): यह गरिमा मैडम भी न । इन्हें पता नहीं क्या पड़ी है इस लड़की की। हर दिन आती हैं और बोलकर चली जाती है, आखिर में हाथ क्या लगता है चुप्पी, खामोशी।


🌇 दोपहर का समय

नित्या से मिलने के कुछ घंटे बाद इंस्पेक्टर गरिमा अपने कैबिन में आकर बैठ जाती है और गहरी सोच में पड़ जाती है।


गरिमा (सोचते हुए): पता नहीं क्यूं मैं जब भी उस लड़की नित्या को देखती हूं तो मुझे लगता है कि कत्ल छोड़ो वह किसी को चोट तक नहीं पहुंचा सकती। लेकिन जब उसकी गहरी आंखों को देखती हूं तो एक पल के लिए डर जाती हूं , उसकी आंखों में एक अलग- सी आग , एक अलग सा- जुनून और बेचैनी है। (बेचैन होकर) ऐसा क्या है? क्यूं है? मैं ये कैसे पता लगाऊं।


इतना कहने के बाद गरिमा अपने सामने पड़े टेबल से एक फाईल उठाती हैं जिसके फ्रंट पेज पर नित्या की तस्वीर लगी हुई है। गरिमा कुछ देर तक फाईल में लगी नित्या की तस्वीर को निहारती है, बाद में फाईल के कुछ पेज़ पलटने के बाद फाईल को निराशा से टेबल पर पटक देती है।
लेकिन फाईल फेंकते वक्त उसकी नज़र टेबल पर पड़े अखबार पे पड़ जाती है। गरिमा अखबार उठाती है और उसके पन्ने पलटने लगती है। कुछ पन्ने पलटने के बाद उसका ध्यान एक खबर की हेडलाइन पर जाता है।

हेडलाइन: साइलेंट किलर नित्या


गरिमा (अखबार पढ़ते हुए): नित्या नाम की लड़की आज कल सुर्खियों में है, जिसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जा रहा है। ख़बर मिली है कि उसने अपने पड़ोस में रहने वाली दो औरतों को बड़ी ही खामोशी से मार डाला। जब उसका दो-दो कत्ल करके भी मन नहीं भरा तो उसने अपने ही परिवार के मेंबरों को मौत के घाट उतार दिया है। मृतकों की पहचान नित्या की सास , ससुर और उसके पति के रूप में हुई है। कत्ल इतनी सफाई से किए गए थे कि किसी को कानों-कान खबर न हो, किसी के पानी में नींद की दवा मिला दी तो किसी को छत से धक्का देकर गिरा दिया। नित्या के इस खूनी खेल का दूसरी औरतों पर भी प्रभाव पड़ा है। अब हर घर के हालात यूं हो गए हैं कि घर वाले अपने घर की औरतें के हाथ से पानी तक पीने से डरते हैं। उन्हें डर है कि वह भी उन्हें पानी में कुछ मिलाकर न दे दें। वो अपने घर की औरतों को नित्या की तरह देखने लगे है और उन्हें निगरानी में रखने लगे है। इस घटना ने औरतों की मुश्किलें और भी बढ़ा दी  है।


इतनी ख़बर पढ़ने के बाद इंस्पेक्टर गरिमा अपना सिर पकड़ लेती है और बेचैन हो जाती है और अपने आप में बड़बड़ाती है।


इंस्पेक्टर गरिमा (बड़बड़ाते हुए): आखिर ये मामला है क्या? नित्या के पास खून करने की कोई तो वजह होगी, वरना बिना वजह तो कोई किसी को क्यों मारेगा। (अपने एक हाथ पर दूसरा हाथ मारते हुए) वजह , वजह, वजह यह वजह ही तो पता नहीं लग रही और ना ही नित्या बताने को तैयार है। लेकिन वजह है जरूर क्योंकि बिना वजह के तो कोई पागल ही मार सकता है किसी को और नित्या पागल नहीं है यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं।


🌅 अगले दिन दोपहर

इंस्पेक्टर गरिमा पुलिस स्टेशन में अपने कैबिन में बैठकर कुछ फाइलें देख रही है कि तभी कांस्टेबल श्लोक (28) हांफता हुआ भागकर गरिमा के पास आया है और कहता है :


कांस्टेबल श्लोक (हांफते हुए): गरिमा मैडम, गरिमा मैडम। वो लड़की नित्या ---

गरिमा (कुर्सी से खड़ी होकर): नित्या। हां बोलो क्या हुआ नित्या को?

श्लोक: मैडम वो नित्या दीवार पे कुछ लिख रही हैं।

गरिमा: लिख रही है? क्या लिख रही है?

श्लोक: मैडम वो लिख रही है कि खामोशी मेरी कमजोरी---


श्लोक की बात बीच में ही  छोड़कर गरिमा जल्दी से भागकर नित्या के सैल के पास जाती है। तो वह देखती है कि सभी क़ैदी नित्या के सैल की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं और नित्या दीवार पर   कोयले से बार-बार लिख रही है:
"खामोशी मेरी कमज़ोरी नहीं ताकत है। ''

इस बार इंस्पेक्टर गरिमा नित्या के सैल के अंदर नहीं गई वो बाहर खड़ी ही नित्या का लिखा हुआ पढ़ती है। और पढ़ने के बाद नित्या को समझाती है।


गरिमा (नित्या से): नित्या तुम ग़लत लिख रही हो खामोशी कभी किसी की ताकत नहीं बन सकती क्योंकि यह इन्सान को धीरे-धीरे अंदर से ख़त्म कर देती है। ऐसा ही तुम्हारे साथ हो रहा है। तुम्हारी खामोशी ने तो ना जाने और कितनी औरतों की जिंदगी को मुश्किल में डाल दिया है, उन्हें चौबीस घंटे निगरानी में रहने के लिए मजबूर कर दिया है। तुम जानती हो उन बिचारी औरतों की जो आज स्थिति है, उसकी ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ तुम हो। ना तुम ऐसा कोई काम करती और न औरतों से उनकी आजादी छीनी जाती।


गरिमा की बातें सुनकर नित्या के हाथ से कोयले का टुकड़ा नीचे गिर जाता है और उसकी आंख से एक हंजु गिरता है।

गरिमा (श्लोक से): श्लोक जाओ और मेरे कैबिन से आज का अखबार लेकर आओ।

श्लोक: जी मैडम अभी लाता हूं।


श्लोक जाकर अखबार लेकर आता है और उसे गरिमा के हाथ में पकड़ा देता है। गरिमा उस अखबार को सलाखों के बीच में से नित्या की ओर फेंकती है और कहती है:


गरिमा: नित्या इस अख़बार में तुम्हारे बारे में खबर छपी है इसे ध्यान से पढ़ना और कल दोपहर तक सोचकर बताना की तुम इस ख़बर में कुछ बदलाव चाहती हो या नहीं। अगर तुम्हारा जवाब हां हुआ तो ये तभी मुमकिन होगा जब तुम मुझे सब कुछ सच-सच बताओगी और अगर ना हुआ तो जैसे चल रहा है वैसे चलता रहेगा।


इतना बोलकर एक बार फिर गरिमा वहां से चली जाती है। गरिमा के जाते ही नित्या अपने पैरों में पड़े अखबार को उठाती है और उसे अपने बिस्तर के सिरहाने रख देती है।


🌌 रात का समय

रात का समय है, जेल के अंदर जो कैदी हैं वो सभी सो रहे हैं सिवाय एक के और वो है नित्या। नित्या अपने बिस्तर पे लेटी हुई है  और वो छत की ओर टकटकी लगाकर देख रही है। वो जब भी सोने की कोशिश करती है तो उसके कानों में गरिमा की कही हुई बातें गूंजने लगती हैं। कुछ टाइम बाद नित्या को अपने सिरहाने पड़े अखबार का ख्याल आता है और वो उसमें अपने बारे में छपी खबर ढूंढकर पढ़ने लगती है। ख़बर पढ़ने के बाद नित्या ज़ोर- ज़ोर से चिलाने लगती है।


नित्या (चिल्लाते हुए): नहीं यह खबर बिल्कुल झूठ है। मैं किसी के उपर पाबंदी लगने का कारण नहीं हूं। और ना ही मैं ऐसा कभी चाहूंगी।


नित्या के चिल्लाने की आवाज सुनकर कांस्टेबल विनोद (28), (जो रात की ड्यूटी पर है)भागकर उसके पास आता है।


विनोद (नित्या से): क्या हुआ? क्यों इतनी रात गए शोर मचा रखा है, दिखाई नहीं दे रहा तुम्हारे आस पास वाले सब सो रहे है। (उबासी लेते हुए) रात बहुत हो चुकी है चुपचाप सो जाओ।

नित्या (सलाखों को पकड़कर): मुझे गरिमा मैडम से मिलना है।

विनोद (आंखों को मसलते हुए ): हां किस से मिलना है?

नित्या: गरिमा मैडम से।

विनोद: गरिमा मैडम से ! वो भी इस वक्त। देखो, गरिमा मैडम इस वक्त यहां नहीं है। उनकी ड्यूटी सुबह है। इसलिए अब तुम चुपचाप सो जाओ, मैडम कल सुबह आएंगी तब चाहे उनसे गले मिल लेना।

नित्या: लेकिन मैने उनसे अभी बात करनी है।

नित्या अभी अपनी बात खत्म ही करती है कि वहां हवलदार रंजन ( 30) आ जाता है।

हवलदार रंजन (विनोद से): क्या हुआ विनोद?

विनोद: कुछ नहीं यार यह लड़की इतनी रात गए मैडम गरिमा से मिलने की रट लगाए बैठी है।

रंजन: तो तुमने मैडम को फोन लगाया?

विनोद: नहीं और तुम कैसी बातें कर रहे हो, इस वक्त मैडम को फोन लगाकर मैंने डांट थोड़ी खानी है। वो भी उस वक्त जब उनकी ड्यूटी ही नहीं है।

रंजन (विनोद को साइड में लेजाकर धीरे से): इस लड़की का नाम नित्या है और मैंने सुना है, मैडम को बहुत दिन हो गए हैं इसका मूंह खुलवाने की कोशिश करते हुए। लेकिन आज तक इसने उन्हें कुछ नहीं बताया। इसलिए मेरी मानो  गरिमा मैडम को फोन लगाकर बता दो। मुझे पता है जब तुम मैडम को बताओगे की नित्या उनसे बात करना चाहती है तो वो इसी टाइम पुलिस स्टेशन में हाजिर हो जायेंगी।  

विनोद: ओ तो तुम चाहते हो कि मैं मैडम को फोन लगाऊं।

रंजन: हां लगाओ।


विनोद: अगर मैडम ने डांटा तो?

रंजन: और अगर मैडम को सुबह पता चला की जिस नित्या के पीछे वो इतने दिनों से हाथ धोकर पड़ी थी वो रात उनसे बात करना चाहती थी तो? हो सकता है मैडम को ना बताने के कारण भी तुम्हें डांट पड़ जाए।

विनोद: ठीक है, ठीक है लगाता हूं ज्यादा डराओ मत।

विनोद अपनी जेब से फोन निकालकर गरिमा का नंबर  लगाता है। उधर गरिमा अपने घर पर कमरे में सो रही है। उसके फोन की घंटी बजती है और उसकी नींद खुल जाती है। वो फ़ोन उठाती है।

गरिमा(फोन उठाकर): हां विनोद बोलो। इतनी रात को फोन क्यूं लगाया?

विनोद (डरी हुई आवाज़ में): जी मैडम वो नित्या...

गरिमा: हां नित्या क्या?

विनोद: मैडम वो नित्या आपसे कुछ बात करना चाहती है। वो कह रही उसने अभी आपसे मिलना है।

गरिमा: ठीक है, मैं अभी आ रही हूं।

गरिमा विनोद से बात करने के बाद फोन रख देती है। उधर रंजन विनोद से पूछता है।


रंजन: क्या हुआ? क्या कहा मैडम ने?

विनोद: कुछ नहीं मैडम आ रही है।

रंजन: मैंने कहा था ना कि नित्या का नाम सुनते ही मैडम भागी आएंगी।

विनोद ( नित्या के पास जाकर): मेरी अभी-अभी मैडम से बात हुई है वो आ रही हैं।


⏰आधे घंटे बाद

आधा घंटा बीत जाने के बाद इंस्पेक्टर गरिमा सिविल ड्रेस में ही पुलिस स्टेशन पहुंच जाती है। और पहुंचते ही विनोद से कहती है:


गरिमा(विनोद से): विनोद नित्या को पूछताछ वाले कमरे में लेकर आओ, मैं उसे वहीं मिलूंगी।

विनोद: जी मैडम अभी लाया।


विनोद नित्या को पूछताछ वाले कमरे में लेकर आता है जहां इंस्पेक्टर गरिमा पहले से ही अपने फोन का वॉइस रिकॉर्डर ऑन करके बैठी हुई है। गरिमा नित्या को अपने सामने पड़ी कुर्सी पर बैठने के लिए कहती है और कांस्टेबल विनोद को वहां से जाने को कहती है। विनोद के चले जाने के बाद:


गरिमा (नित्या से): बोलो नित्या तुम मुझसे क्या बात करना चाहती थी?

नित्या (दुखी होकर): मैं कभी नहीं चाहती थी कि मेरी वजह से किसी औरत पे पाबंदी लगे या उससे उसकी आजादी छीनी जाए। जो खुद पाबंदियों को झेल चुका हो भला वो क्यों चाहेगा दूसरों पर पाबंदी लगे।

गरिमा: नित्या तुम जो भी कहना या बताना चाहती हो प्लीज़ साफ-साफ और शुरू से बताओ।

नित्या अपनी कहानी बतानी शुरू करती है।

मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत ही अच्छी कहानी 👌बहन मेरी कहानी पढ़कर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

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