'साइलेंट किलर' मेरी यह कहानी पूर्णत काल्पनिक है। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। इसमें लिखे गए सभी पात्र काल्पनिक हैं। यह कहानी मेरी पिछली किताब की कहानी 'वूमेन वेब' की तरह समाज में औरतों की दशा को दर्शाती है। यह कहानी दर्शाती है कि औरतों को औरत होने के कारण कितनी मुश्किलों को झेलना पड़ता है, भेदभाव का सामना करना पड़ता है। और कभी कभी वो इन सब से इतनी तंग आ जाती हैं कि वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठतीं हैं जिसके परिणामस्वरूप वह कोई उल्टा सीधा क़दम उठा लेती है। जैसे कि मेरी कहानी की पात्र नित्या। नित्या का सपना होता है कि वह फोटोग्राफर बने लेकिन लड़की होने के कारण उसे अपने सपने से समझौता करना पड़ता है जो उसे गंवार नहीं होता पहले तो वो कैसे भी करके वह कंप्रोमाइज कर लेती है लेकिन बाद में उसके घर वाले उसके ऊपर और भी कई सारी पाबंदियां लगाने लगते हैं जिसके कारण नित्या तंग आ जाती है और उसका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। जिसके परिणामस्वरूप वह अपने सभी घर वालों के साथ साथ उन लोगों को भी मार देती है जो लोग उसके ऊपर पाबंदी लगने का कारण होते हैं। मैं चाहती हूं कि पाठक मेरी इस कहानी को पढ़े और समझें कि लड़का हो या लड़की सभी को अपनी जिंदगी के फैसले लेने का अधिकार बराबर होता है। और ऐसा कोई काम नहीं है जो लड़के कर सकते हैं और लड़कियां नहीं। अंत: लड़कियों के ऊपर इतनी भी पाबंदियां न लगाएं के एक दिन आपको और उन्हें दोनों को पछताना पड़े।