मेरी पुस्तक का नाम बशीरा है। मैने अपनी इस पुस्तक में बशीरा नाम के एक व्यक्ति के बारे में लिखा है। बशीरे के जरिए मैंने यह समझाने की कोशिश की है,कि जो लोग खुद को बदकिस्मत समझते हैं ,और भगवान को कोसते हैं कि हमें हीं भगवान ने इतने दुख दिए । उनको यह समझाने की कोशिश की गईं हैं ।कि वह लोग अपने घर में से बाहर निकल कर,और लोगों से मिले जुले तब पता चलेगा कि इस संसार में अकेला मैं ही दुखी नहीं हु।और भी बहुत है जो इस संसार में दुखी हैं। इस पर कबीर दास जी का दोहा भी है।दुसरो के घरों में झांक कर देखा ।।तो वहीं आग उस घर में बल रहीं थी, जो आग मेरे घर में बल रहीं थीं।।
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