10 मई 2022
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जो मन में आता है , लिखता हूं । साफ कहना, साफ दिल , साफ लिखना मुझे पसंद है । D
बहुत सुंदर कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388
सुनो ना "सुनो ना" । सैकड़ो टन चीनी की मिठास घोलते हुए श्रीमती जी ने कहा । वो जब भी बातों में अतिरिक्त मिठास घोलती है, मेरे कान तुरंत खड़े हो जाते हैं । दिल में धुकधुकी सी होने लगती है । क्य
सखि, जमाना कितना बदल गया है । आदमी चांद से भी आगे पहुंच गया है। मगर लोगों की सोच वहीं की वहीं पड़ी हुई है । अब अंधविश्वास को ही देख लो । आदमी आज किसी पर भी विश्वास नहीं करता है । यहां
आज स्टॉफ रूम में बड़ी चहल पहल थी । सब शिक्षकों के मुख पर जिज्ञासा के भाव थे कि आखिर आज शिक्षक संघ के अध्यक्ष जी ने अर्जेंट मीटिंग क्यों बुलाई है ? क्या प्रधानाचार्य ने किसी शिक्षक से कोई पंगा ले लिया
दिनांक 27.4.2022 की सत्य घटना है । झारखंड राज्य के लोहरदगा के कोतवाली थाने में एस एच ओ सुगंधा लोगों की शिकायतों पर कार्रवाई कर रही थी । अपराधियों की "सुंताई" चल रही थी । पूरा थाना अपने अपने काम में मश
"अरे, आप अभी तक नहाए नहीं" ?घर में पैर रखते ही श्रीमती जी ने प्रश्न दाग दिया ।"देवी जी, आप शायद भूल रही हैं कि आज रविवार है । रविवार मतलब आजादी का दिन" हमने चिढ़ाने वाले अंदाज में कहा । "अरे हां,
राजस्थान का बहुचर्चित स्कैंडल जिसने राजनीति में भूचाल ला दिया । कई खानदानों को मटियामेट कर दिया और सत्ता तथा सेक्स के गठबंधन को सार्वजनिक कर दिया । तो आज आपको यह बहुचर्चित किस्सा सुनाते हैं । घट
आज सुबह मैं अखबार पढ रहा था कि मोबाइल ने घनघना कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी । हमारी सोसायटी के अध्यक्ष जी थे । मैंने मन ही मन सोचा कि इतनी सुबह क्या बात हो सकती है ? मगर कोई क्लू हाथ नहीं लगा ।
सखि, कैसा जमाना आ गया है । एक तरफ तो लोग आधुनिक बन रहे हैं । बड़े बड़े रईस और खानदानी घरों की बेटियां "फटी पुरानी" सी चीथड़े वाली जींस पहन कर पार्टियों में जा रही हैं या फिर उनके खरबपति बा
"मीना, पापा के लिए चाय बना देना" । मीना की सास रसोई में आते हुए बोली ।"जी, पापा आ गए क्या" ? मीना "बड़ी" की सब्जी बनाते हुए बोली । उसे "बड़ी" की सब्जी बहुत पसंद थी । "हां, अभी अभी आए हैं । देख, तेरे
सखि, दिल बहुत धड़क रहा है । अब तुम यह मत कह देना कि दिल तो होता ही धड़कने के लिए है । हां, यह बात मैं भी जानता हूं । मगर दिल इसलिए धड़क रहा है कि देश में क्या क्या नौटंकियां चल रही हैं ? आखिर हो
सखि, आज बड़े असमंजस में हूं । असमंजस यह है कि बड़े लोग बातें भी बड़ी बड़ी करते हैं मगर उनके काम उतने ही गंदे होते हैं । जितने भी लोग IAS बनते हैं और उनका साक्षात्कार आता है तब वे बड़ी बड़ी बातें
सखि, बड़ा आनंद आ रहा है । बड़े बड़े अजूबे हो रहे हैं इस देश में आजकल । कहीं पर सी बी आई की टीम को स्थानीय पुलिस गिरफ्तार कर रही है तो कहीं पर एन सी बी के दफ्तर को एक मुख्यमंत्री अपने समर्थकों के
सखि, आजकल बुलडोजर के भाव आसमान में चढे हुए हैं । सीधे मुंह बात ही नहीं करती है वह । पता नहीं किस पर इतना घमंड करती है नासपीटी? शक्ल सूरत भी तो माशाल्लाह है और डीलडौल तो "टुनटुन" को भी मात करता है
सायरा को पार्टियों का बड़ा चस्का था । खाने की बहुत शौकीन थी सायरा । अल्लाह ने क्या नहीं दिया सायरा को ? हुस्न बेशुमार । जैसे अल्लाह ने ठान लिया था कि दुनिया भर का हुस्न बस सायरा पर ही लुटाना है । उसकी
कक्षा 12 में शिक्षिका ने होम वर्क में "हम दोनों" पर एक पैराग्राफ लिखकर लाने के लिए कहा । आजकल बच्चे भी बहुत समझदार हो गये हैं । उन्हें कोई कन्फ्यूजन नहीं चाहिए इसलिए मैम से अपने सारे डाउट्स पहले ही क्
यह कहानी पाकिस्तान की एक सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए हैं । सुलेमान काम से लौटा ही था कि हाथ मुंह धोने चला गया । उसकी पत्नी फरीदा ने उसका खाना लगा दिया था । वह खाना खाने बैठ ग
योगेश्वर सिंह मन ही मन उबल रहे थे । रविवार का दिन था और सुबह के नौ बज गये थे लेकिन ना तो बेटी टीना जगी , ना बेटा रोहन और ना ही बहू लक्षिता । सब खूंटी तानकर सो रहे थे । पत्नी दिव्या की ड्यूटी किसी परीक
काजल के पापा राजेश अपनी पत्नी सीमा को एक लड़के का फोटो दिखाते हुए बोले "आर्यन है ये । नामी गिरामी उद्योगपति मुंजाल साहब का बेटा । कितना स्मार्ट है ? इसका रिश्ता आया है काजल के लिए । बोलो क्या कह
गाय और कुत्ते की रोटी मेरी मां अनपढ़ थीं शायद इसीलिए पहली रोटी गाय की और आखिरी कुत्ते के लिए बनातीं थी । भगवान को बहुत मानती थी। मैं सोचता हूं कि शायद अनपढ़ लोग भगवान को ज्यादा मानते हैं अन्यथा प
"सुनो" "कहो" "एक बात पूछूं" "हां जी, पूछिए" "क्या आप हमें प्यार करते हैं" "अपने दिल से पूछिए, वह क्या कह रहा है" "आप न बात को घुमा देते हैं । जैसे मैंने सीधे सीधे प
यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है । पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं । 20 सितंबर 2015 को रात के 8.45 हो रहे थे । शर्मा दंपत्ति खाना खाकर अपने घर की छत पर टहल रहे थे । अचानक गोलियां चलने की आवाजें सुन
रवि लंच लेकर सो गया था । जब जागा तब तक चार बज चुके थे । हल्की हल्की बारिश हो रही थी । मौसम बड़ा सुहावना हो रहा था । आसमान पर बादल छाए हुए थे । तेज हवा के झोंकों के साथ साथ कुछ कुछ फुहारें घर के अंदर त
"सुंदर का ढाबा" जयपुर में एक जानी पहचानी जगह बन गई थी । यहां का खाना बड़ा स्वादिष्ट होता है । एक ब्रांड बन गया था "सुंदर का ढाबा" । सुंदर ने गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया था । "बढिया भोजन और मीठा व
रिश्ते भी एक धाराप्रवाह नदी की तरह होते हैं । नदी पहले बहुत आवेग के साथ बहती है । फिर उसमें प्रगाढ़ता आ जाती है और फिर वह धीरे धीरे मंथर गति से बहने लगती है । फिर अचानक एक मोड़ आ जाने पर जिस तरह
सरिता की आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे । आंसुओं से पूरा तकिया भीग गया था । मुंह से रह रह कर हिलकियां निकल रही थीं । पूरे बदन में कंपकंपी हो रही थी । मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहा था । उसके हाथ बार बार
अमन आज जल्दी जल्दी बस स्टॉप की ओर जा रहा था । वह आज फिर से लेट था । अब तो उसकी फितरत सी हो गई थी लेट ऑफिस जाना और बॉस से डांट खाना । उसे दिल्ली में लाजपत नगर से गुड़गांव जाना होता था । वह पहले मेट्रो
हमने तो आज तक यही सुना था कि हर लड़की हसीना ही होती है वह शक्ल सूरत से चाहे "टुनटुन" , शूर्पणखां या कुब्जा ही क्यों न हो । हसीना का एक सौन्दर्य शास्त्र होता है । वह चांद सी खूबसूरत होती है चाहे उसमें
सावन,राग मल्हारझूले और रस श्रृंगारसावन का महीना हो । रिमझिम बारिश का मौसम हो । मोर की बोली हो। झूलों की बहार हो । प्रिय का साथ हो तो श्रृंगार रस टपकता है । हाथों में मेहंदी हो। बालों में गजरा हो
आज सुबह सुबह श्रीमती जी बहुत खिली खिली सी लग रही थीं । बिल्कुल मौसम की तरह । जब मूसलाधार बरसात के बाद मौसम खिलता है तो बड़ा सुहावना लगता है । इसी तरह जब श्रीमती जी सुबह सुबह खिली खिली दिखती हैं तो मेन
"हैलो नव्या" "हां बोलो विवान" "ऐसा करना , आज शाम को ठीक आठ बजे डॉक्टर मिताली के यहां पहुंच जाना । मैं भी जैसे तैसे मैनेज कर के पहुंच जाऊंगा । और हां, ठीक आठ बजे पहुंच जाना । देर मत करना । आठ
श्री अपनी डेस्क पर ऑफिस का काम निबटा रहा था कि सेवक राम ने उसके पास आकर कहा "साहब, आपको बड़े साहब बुला रहे हैं" । "अच्छा , अभी आता हूं" । और अगले ही पल श्री बॉस के केबिन में आ गया । "आओ आओ
ठिकाना एक पल का नहीं, हिसाब सात जन्मों का करते हैं । कितने नादान इंसान हैं, अक्सर ऐसी नादानियां करते हैं ।। जूही की शादी की तैयारियों में मशगूल थे अंबिका प्रसाद । कितने अरमान थे उनके और उनक
"अरे विजय, आज तो बहुत दिनों बाद आया है यार । कहां रहता है आजकल" ? रोहित ने अपने जिगरी दोस्त विजय को देखकर कहा "आजकल दिल्ली में एक जॉब करने लगा हूं । कल ही आया हूं यहां पर । आज तुझसे मिलने आ गया । बता
बात उन दिनों की है जब मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप हल्दीघाटी के सन 1576 के युद्ध के बाद वन वन भटक रहे थे । सेना छिन्न भिन्न हो गई थी । पैसा पास था नहीं । और तो और खाने को दाने भी नहीं थे । तब एक सेठ
"अरे, पकड़ो पकड़ो । भागा ,भागा" नन्हे कान्हा के पीछे चांदी की कटोरी में "सेरेलक्स" लेकर दौड़ती हुई सिया बोली । "जायेगा कहां बेटा ? पीछे मम्मा पड़ी है और आगे अम्मा खड़ी है । बच्चू , बच के कहां जाय
यारों की महफिल जमी थी । प्रकाश ने सेवानिवृत्त होने पर अपनी कॉलोनी के सेवानिवृत्त लोगों का एक क्लब बना लिया था और कॉलोनी के पार्क में सब लोग सांय 5 बजे से 6 बजे तक खूब हंसी मजाक करते थे । बीते दिनों के
आज अपनी पुरानी डायरी लेकर बैठ गया था । कभी कभी जब भी ये दिल उदास होता है तो मैं अपनी डायरी लेकर बैठ जाता हूं । इसमें किसी के प्यार की महक बसी हुई है । बस, वह महक ही मुझे एकदम से तरो ताजा कर देती है ।
रति आज रह रह कर छत पर जाकर चांद को देख रही थी । वह बार बार आसमान की ओर टकटकी लगाकर देखती कि चांद निकल आया है कि नहीं । मगर आसमान में तो दूर दूर तक काले काले बादल ही नजर आ रहे थे । चांद का कोई अता पता
राक्षसराज जलंधर और भगवान शिव में भयंकर युद्ध हो रहा था । राक्षसराज जलंधर ने काम ही ऐसा किया था कि भोलेनाथ क्रोध में हुंकार उठे थे । जलंधर ने माता पार्वती पर अपनी कुदृष्टि जो डाली थी । ताकत के घमंड में
"सुनो, आपके लिए नाश्ते में क्या बनाऊं" ? "आप क्या खाना पसंद करेंगी" ? "अरे , आपको यह भी याद नहीं कि आज करवा चौथ है ? आज के दिन तो मैं व्रत रखती हूं ना" । "हूं .. । याद है इसीलिए तो प