संघर्ष का मानव जीवन में एक अहम स्थान है। बिना संघर्ष के कोई भी प्राणी इस धरा पर जीवित नहीं रह सकता। परंतु इस अध्याय पर लिखने का विचार मुझे तब आया,जब मैंने अपनी आंखों से कुछ लोगों के जीवन के एक एक पल बड़ी गहनता से परखा। ये बात उस समय की है जब मै इलाहाबाद में बैचलर की डिग्री कर था। इससे पहले मैं सोचता था कि मेरा जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है, किंतु मेरा संघर्ष तो अपनी मंजिल को प्राप्त करने के लिए था। यहां अर्थात् इलाहाबाद आने के पश्चात् मुझे पता चला कि मैं तो सिर्फ लक्ष्य प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहा हूं। लेकिन इस धरा पर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कईं विद्यार्थियो के पास पढ़ने के पैसे नहीं हैं तो किसी के पास खाने के। फिर भी वे बिना थके संघर्ष की इस दुनिया में निरंतर अथक प्रयास कर रहे हैं। कोई अपने जीवन और लक्ष्य को सुन्दर बनाने के लिए कोई चाय की दुकान खोले हुए है तो कोई कोचिंग के पेपरों को बांट रहा है। मैं तो उनके आगे लेस मात्र संघर्ष कर रहा हूं। कोई मध्यम वर्गीय परिवार से है तो कोई उच्च या निम्न वर्गीय परिवार से है परंतु फिर भी इनमें काफी गहरी मित्रता है। किंतु फिर भी इनमें कुछ अलग देखने को मिलता है। क्योंकि वे लोग मित्रता के वास्तविक अर्थ को नहीं समझते हैं।