ज्ञानवापी मस्जिद जिसे कभी कभी आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है, वाराणसी मे स्थित एक विवादित मस्जिद है। यह मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। एक संस्कृत शब्द है इसका अर्थ है ज्ञान का कुआं। 1991 से इस मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल रही है। पर 2022 मे सर्वे होने बाद ये ज्यादा चर्चों मे है।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जिला अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वे कराने की इजाजत दे दी है. हिंदू पक्ष ने जिला अदालत में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर का सर्वे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) से करवाने की इजाजत मांगी थी. दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में 16 मई को कोर्ट कमीशन के सर्वे के दौरान एक संरचना मिली थी। हिंदू पक्ष ने इसे शिवलिंग और मुस्लिम पक्ष ने फव्वारा बताया। सुप्रीम कोर्ट ने इस संरचना को संरक्षित करने का आदेश जारी किया था। यह आदेश 12 नवंबर तक के लिए था। इनमें से ज्ञानवापी परिसर में बंद पडे़ तहखानों को खोलने और उनका सर्वे कराने के अनुरोध वाली याचिका पर कोर्ट ने अलगी सुनवाई की तारीख 23 जनवरी 2023 तय की है। माना जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर कराया था। ज्ञानवापी मस्जिद हिंदू और मुस्लिम आर्किटेक्चर का मिश्रण है। मस्जिद के गुंबद के नीचे मंदिर के स्ट्रक्चर जैसी दीवार नजर आती है। माना जाता है कि ये विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, जिसे औरंगजेब ने तुड़वा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद HC के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें 2022 में कथित तौर पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए "शिवलिंग" के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। ज्ञानवापी में मिले 3 मीटर लंबे शिवलिंग की कहानी:हिंदू पक्ष का दावा- पन्ना पत्थर से बना है, अकबर ने 1585 में स्थापित कराया था हिंदू पक्ष का दावा है कि इसी परिसर के आसपास कुएं में शिवलिंग मिला है। वाराणसी में सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है।