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जो सोचा, वो नही हो पाया

6 सितम्बर 2022

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क्यों,  जो हम सोचते है वो नही हो पाता।

एक लड़का जो सीधा सादा पढ़ने में होशियार था । उसकी सोच बाकी सब से अलग थी। स्कूल शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन था । न किसी से बाते करना नाही किसी भी प्रकार का टाईम पास करना ।

अपनी ही दुनिया में मस्त था। कुछ दिनों से वो उदास था क्योंकि उसे घर से दूर हॉस्टल में रख दिया गया था  वो और अकेले रहने लगा जैसे जैसे समय बिता गया  और फिर से वह अपनी दुनिया में रहने लगा। जब उसके घर वालो से यह देखा नही गया तो वे उसे वापस अपने साथ घर ले आए 

अब। वो पहले से बेहतर हैं और खुश हैं। अब वो टाईम से स्कूल जाता है। अब नए  स्कूल में  उसके कई नए दोस्त बन गए है । अब वो अकेला नहीं रहता। अब वो अपनी खोई खोई सी दुनिया से बाहर है । पर कुछ समय बाद उसका स्कूल फिर बदल गया ।

अब वो फिर से दुखी है क्योंकि उसके पुराने दोस्त उसके साथ नही है

पर वह खुश इस बात से है की नए दोस्त बनेंगे  जब उसके नए दोस्त बने ये उसके पक्के दोस्त बन गए हैं। अब ये लड़का पढ़ने में अच्छा था ।

इस को देख कर उसके ही क्लास की कुछ लड़कियों ने भी उससे दोस्ती करनी। चाही पर उससे यह सब पसंद नहीं था। अब स्कूल शिक्षा के बाद उससे उच्च शिक्षा के लिए बड़े शहर जाना पड़ा । इस लड़के ने कई सपने देखे थे अपने भविष्य की नीति बनाई थी जिसे लेकर वो अपने काम से काम रखता था 



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