जिस क्षण जो होना है निश्चित उस क्षण में ही सब कुछ होता।
चलता फिरता एक खिलौना मानव के वश कुछ नहीं होता।।
अस्थि दान यदि ऋषि ना करते, असुरों का संहार न होता।
महादेव विष पान न करते, तो जग का कल्याण न होता।।
मंथन में यदि सुधा न मिलती, देवासुर संग्राम न होता।
जिस क्षण जो होना है निश्चित उस क्षण में ही सब कुछ होता।
राम उसी दिन राजा बनते, अगर विधाता वाम न होता।
अगर राम बनवास न होता, चित्रकूट भी धाम न होता।
सीता हरण नहीं करता तो, दशकंधर बदनाम न होता।
जिस क्षण जो होना है निश्चित उस क्षण में ही सब कुछ होता।
दशरथनंदन अगर न आते, सबरी का निर्वाण न होता,
नहीं सुनाते गीता प्रभु, यदि अर्जुन को अज्ञान होता।
रत्नावली यदि नहीं डाटती, तुलसी का गुणगान न होता।
अगर विद्योत्मा मूर्ख न कहती, कालिदास विद्वान न होता।
संत शिरोमणि अगर न होते, जीवों का कल्याण न होता।
जीव ईश के अंश न होते, जग में यदि भगवान न होता।
जिस क्षण जो होना है निश्चित उस क्षण में ही सब कुछ होता।
प्रवचन अरु उपदेश धर्म ही, यहां जरूरत कभी न पड़ती।
प्रभु की सबसे उत्तम कृति, यदि धरती पर इंसान न होता।