स्वाधीनता के बाद देश आगे बढ़ा है,
प्रगति के आंकड़ों को मैने भी पढ़ा है।
हाँ, आंकड़ों पर यदि आप विश्वास नहीं करते तो,
आँख खोलकर देखो, इतना बड़ा उदाहरण सामने खड़ा है।
पहले मैं क्या था, आज मैं क्या हूँ,
मैं पुलिस को देखकर भागता था,
डर के मारे रात-रात भर जागता था,
मेरे अतीत पर मत जाओ,
मेरे वर्तमान को गले लगाओ।
परिवर्तन की हवा इसी ढंग से चलती है,
आज पुलिस मेरे आगे पीछे चलती है।
एक श्रोता ने धीरज खो दिया,
एक प्रश्न करके, नेताजी को धो दिया।
श्रीमान् नेताजी देश की प्रगति का आल्हा खूब गाया है,
पर हर पाँव ने अभी तक जूता नहीं पाया है।
किसे क्या देना, किससे क्या लेना है,
मैं भलीभाँति जानता हूँ,
हाँ पाँव अभी नंगे हैं इसे मैं मानता हूँ।
किन्तु पाँव नंगे रखने में मेरी बुद्धिमत्ता है,
जनता सब जानती है, किनके हाथ सत्ता है।
देश के हर पाँव में जूता यदि होगा,
तो आपसे ही पूछता हूँ, मेरी सुरक्षा का जिम्मेदार कौन होगा।