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kabraetesh

बालकृष्ण काबरा

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पुस्तक के भाग

1

दूसरा चित्र

6 नवम्बर 2015
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दूसरा चित्र मेरे भीतर मेरा एक चित्र है पसंद है मुझे बहुत होना चाहता हूँ उसके अनुरूप  लोगों के मन में भी एक चित्र है मेरा मेरे भीतर के चित्र से बिल्कुल अलग  मैं  लाता हूँ लोगों के सामने अपने भीतर का अपना चित्र ध्यान नहीं देता कोई रह जाता हूँ उपेक्षित  मुझे ढलना पड़ता है लोगों के चित्र के अनुरूप चलता ह

2

गीत अकवि का

6 नवम्बर 2015
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गीत अकवि का एकशोर संगीत भरा  एकधूलि रंग चित्रकार का  एकभीड़ जो नहीं लगती भीड़   एकगीत अकवि का  जोघट रहा अपने आप निरापदअनायास मनको कर देती है हरा हवाएँ हवाओंमें शोर हैशोरमें समय है समयमें दिशाहीनता है दिशाहीनतामें समाया है हवाओंका सुख हवाओंका नहीं है मस्तिष्कआतंककितनीअजी

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