दूसरा चित्र
दूसरा चित्र मेरे भीतर मेरा एक चित्र है पसंद है मुझे बहुत होना चाहता हूँ उसके अनुरूप लोगों के मन में भी एक चित्र है मेरा मेरे भीतर के चित्र से बिल्कुल अलग मैं लाता हूँ लोगों के सामने अपने भीतर का अपना चित्र ध्यान नहीं देता कोई रह जाता हूँ उपेक्षित मुझे ढलना पड़ता है लोगों के चित्र के अनुरूप चलता ह