shabd-logo

गीत अकवि का

6 नवम्बर 2015

166 बार देखा गया 166

गीत अकवि का

 

एक शोर संगीत भरा

 

एक धूलि रंग चित्रकार का

 

एक भीड़ जो नहीं लगती भीड़ 

 

एक गीत अकवि का

 

जो घट रहा अपने आप

निरापद अनायास

मन को कर देती है हरा


हवाएँ

 हवाओं में शोर है

शोर में समय है

समय में दिशाहीनता है

दिशाहीनता में समाया है

हवाओं का सुख

हवाओं का नहीं है

मस्तिष्क


आतंक

कितनी अजीब है

यह स्थिति कि चिड़िया

भूखी हो फिर भी

किसी शंकावश

अपनी चोंच में दाना

न लेती हो

 

प्रतीक्षा

इन पत्थरों को देखो-

इनकी प्रतीक्षा देखो,

 

नहीं तो

देखो मुझे

 

बालकृष्ण काबरा की अन्य किताबें

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

बहुत सुन्दर प्रस्तुति !

7 नवम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

उत्कृष्ट क्षणिकाएँ ! बहुत-बहुत बधाई !

7 नवम्बर 2015

शाहीन ख़ान

शाहीन ख़ान

उत्कृष्ट रचनाएँ ! हार्दिक बधाई !

7 नवम्बर 2015

1

दूसरा चित्र

6 नवम्बर 2015
0
7
3

दूसरा चित्र मेरे भीतर मेरा एक चित्र है पसंद है मुझे बहुत होना चाहता हूँ उसके अनुरूप  लोगों के मन में भी एक चित्र है मेरा मेरे भीतर के चित्र से बिल्कुल अलग  मैं  लाता हूँ लोगों के सामने अपने भीतर का अपना चित्र ध्यान नहीं देता कोई रह जाता हूँ उपेक्षित  मुझे ढलना पड़ता है लोगों के चित्र के अनुरूप चलता ह

2

गीत अकवि का

6 नवम्बर 2015
0
6
3

गीत अकवि का एकशोर संगीत भरा  एकधूलि रंग चित्रकार का  एकभीड़ जो नहीं लगती भीड़   एकगीत अकवि का  जोघट रहा अपने आप निरापदअनायास मनको कर देती है हरा हवाएँ हवाओंमें शोर हैशोरमें समय है समयमें दिशाहीनता है दिशाहीनतामें समाया है हवाओंका सुख हवाओंका नहीं है मस्तिष्कआतंककितनीअजी

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए