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दूसरा चित्र

6 नवम्बर 2015

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दूसरा चित्र

 

मेरे भीतर

मेरा एक चित्र है

पसंद है मुझे बहुत

होना चाहता हूँ उसके अनुरूप

 

लोगों के मन में भी

एक चित्र है मेरा

मेरे भीतर के चित्र से

बिल्कुल अलग

 

मैं  लाता हूँ

लोगों के सामने

अपने भीतर का अपना चित्र

ध्यान नहीं देता कोई

रह जाता हूँ उपेक्षित

 

मुझे ढलना पड़ता है

लोगों के चित्र के अनुरूप

चलता हूँ अपने विरुद्ध

बनता हूँ लोगों की सराहना का पात्र

सराहना जो करती है दुखी मुझे

 

इच्छा विरुद्ध

मेरी पहचान है

दूसरे चित्र से 


वे

 

जब बारिश हो रही थी

वे मजबूत छत के नीचे थे

उन्हें दिखाई दे रही थीं

तबाहियाँ,

वे खुश थे -

वे अब बुझाएँगे अपनी

प्यास

  

जब तूफान उमड़ा

वे अपने सुरक्षा कवच में थे

उनकी अपलक निगाहें

देखती रहीं

सब उजड़ते,

उनकी आँखें चमकीं -

वे अब हो जाएँगे हरे

  

जब वह जला

वे प्रसन्न/मौन

देखते रहे

उनके मस्तिष्क में

पकने लगे नए इरादे,

उनमें जागी नई आशा -

वे अब सेकेंगे अपनी रोटियाँ

        

बढ़ती है खामोशियाँ

 

वक्त के साथ

बढ़ती चली जाती हैं

खामोशियाँ

 

कहा जाना होता है

बहुत कुछ

पर नहीं होती है जरूरत

सब कुछ कहने की

 

वक्त के साथ

पता चल जाता है

क्या कहना है

और क्या नहीं !

 

बढ़ते चले जाते हैं

अनुभव

बढ़ती चली जाती हैं

खामोशियाँ

 

और खामोशियों का

दर्द

 

एक दर्द

जो जरूरी है

सुकून के लिए

 

एक दर्द

जो सुलझाता है

उलझनें ।

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शब्दनगरी संगठन

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'शब्दनगरी' में आपका हार्दिक स्वागत है ! आपकी ऐसी ही अमूल्य रचनाओं की हमें प्रतीक्षा रहेगी ! धन्यवाद !

7 नवम्बर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

अति सुन्दर-मनहर-मनोज्ञ रचनाएँ !

7 नवम्बर 2015

शाहीन ख़ान

शाहीन ख़ान

बहुत सुन्दर, उत्कृष्ट रचनाएँ हैं ! हार्दिक बधाई !

7 नवम्बर 2015

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दूसरा चित्र

6 नवम्बर 2015
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दूसरा चित्र मेरे भीतर मेरा एक चित्र है पसंद है मुझे बहुत होना चाहता हूँ उसके अनुरूप  लोगों के मन में भी एक चित्र है मेरा मेरे भीतर के चित्र से बिल्कुल अलग  मैं  लाता हूँ लोगों के सामने अपने भीतर का अपना चित्र ध्यान नहीं देता कोई रह जाता हूँ उपेक्षित  मुझे ढलना पड़ता है लोगों के चित्र के अनुरूप चलता ह

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गीत अकवि का

6 नवम्बर 2015
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गीत अकवि का एकशोर संगीत भरा  एकधूलि रंग चित्रकार का  एकभीड़ जो नहीं लगती भीड़   एकगीत अकवि का  जोघट रहा अपने आप निरापदअनायास मनको कर देती है हरा हवाएँ हवाओंमें शोर हैशोरमें समय है समयमें दिशाहीनता है दिशाहीनतामें समाया है हवाओंका सुख हवाओंका नहीं है मस्तिष्कआतंककितनीअजी

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