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कड़वा घूंट

30 अप्रैल 2022

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रचनाएँ
लघु कथाएं
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साहित्य समाज का दर्पण होता है। हमारे समाज में और हमारे आसपास बहुत सी ऐसी घटनाएं घटित होती है जो हमारे ही ़जीवन से जुड़ी होती है। ऐसे ही जीवन में घटित होने वाले छोटे छोटे पलों को शब्दों में पिरो कर कुछ लघु कथाओं के रूप में पेश किया गया है। लघु कथाएं वास्तव में बहुत कम शब्दों में जीवन के पूरे सार को परिभाषित कर देती है। साथ ही जीवन को एक नया मोड़ देने का काम भी करती हैं।
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रिश्तों की मिठास

30 अप्रैल 2022
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खिड़की से चाय की खुशबू आ रही थी। इसमें डाली गई इलायची ने तो वातावरण को और भी सुगंधित कर दिया। खुशबू सलमा के घर से आ रही थी। सलमा और रानी के घर एक दूसरे से सटे हुए थे। जाहिर है हवा के रुख के हिसाब से घ

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सुबह की चाय

30 अप्रैल 2022
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रमेश जी के घर नयी बहू आई। उसके पति रमेश सुबह जल्दी काम पर चले गए। वह चिंता में पड़ गई। पता नहीं सासू मां और बाबूजी का स्वभाव कैसा होगा। उनके लिए चाय नाश्ता कब बनाना पड़ेगा। स्नान का पानी भी तो गर्म रख

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आशीर्वाद

30 अप्रैल 2022
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वह मंदिर की तरफ जा रहा था. अभी मंदिर दूर था. मंदिर की घंटी साफ़ सुनाई दे रही थी. शायद आरती शुरू होने वाली है. उसने अपने कदमों की चाल तेज कर दी. कितने दिन हो गये उसे मंदिर गये हुए. आज आरती में शामिल होन

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कड़वा घूंट

30 अप्रैल 2022
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आज अचानक शर्माजी मिल गये. वेटर से  दो कप चाय मंगवाई. इतने सालों बाद मुलाकात हुई. कॉलेज में साथ थे.   "20 साल हो गये. बहुत कुछ बदल गया. आप भी शायद रिटायर हो गए होंगे. बच्चे बड़े हो गए होंगे. अच्छा बिजन

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वाजिब दाम

30 अप्रैल 2022
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टमाटर क्या भाव दिए ?" - लग्जरी कार का शीशा नीचा करते हुए पूछा.      " तीस रूपये किलो साहब." उसने जवाब दिया.      " इतने महंगे बेच रहा है. इतने तो भाव भी नहीं है. चल दो किलो तौल. चालीस रूपये दूंगा."- ज

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शहर की हवा

30 अप्रैल 2022
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सोच रहा हूं थोड़ा शहर हो आऊं. बेटा-बहू गांव न आ पाएं तो क्या मैं तो जा सकता हूँ उनसे  मिलने. अभी तो आराम से घूम फिर सकता हूँ. पोते-पोतियों के साथ आराम से बातें भी  हो जाएगी. काफी महीने हो गये. बहुत याद

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उपहार

30 अप्रैल 2022
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आज उसका  जन्म दिन था.बच्चे,पत्नी व कुछ रिश्तेदार आये हुए थे. टेबल सजाई जा रही थी. रंग बिरंगे गुब्बारे देख बच्चे चहक रहे थे. रिश्तेदारों के पास उपहारों के रंग बिरंगे पैकेट्स थे. सभी तैयारियों में लगे थ

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खुशी

30 अप्रैल 2022
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आज शहर से बुआ आ रही थी। बच्चे बहुत खुश थे। बुआ का ससुराल शहर के किसी बड़े घर में था। जब भी गांव आती बच्चों के लिए कुछ न कुछ नया लेकर आतीं।     इस बार भी वह बच्चों के लिए बहुत सारी चीज़ें लेकर आई। ।बुआ

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पहेली

30 अप्रैल 2022
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 मैं हार गया इस जीवन से. रोज नयी समस्याएं. मैं तो उलझ कर रह गया.जीने का कोई आनंद नहीं."कहकर वह धम्म से सोफे पर बैठ गया.     दादा जी ने एक  पहेली पूछी. सुनकर पहले तो वह घबरा गया. उसे लगा इसका हल खोजना

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धुआं गिनता हूं

30 अप्रैल 2022
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उसका मकान झुग्गी बस्ती के पास ही था। शाम के वक्त छत पर आ जाता। दूर तक फैली बस्ती को देर तक निहारता रहता है। बहुत अच्छा लगता है उसे इस तरह निहारते हुए। गरीबों की सेवा करने में उसे आनंद की अनुभूति होती

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अधूरा पाठ

30 अप्रैल 2022
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आज के पाठ का नाम था ईमानदारी।  बेटा पढने लगा। शर्मा जी ध्यान से सुनते रहे। जब पाठ खत्म हुआ तो वे समझाने लगे-जीवन में  ईमानदारी बड़ी चीज है। ईमानदार का सब जगह सम्मान होता है । कुछ समय के लिए भले ही उसे

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