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सुबह की चाय

30 अप्रैल 2022

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रमेश जी के घर नयी बहू आई। उसके पति रमेश सुबह जल्दी काम पर चले गए। वह चिंता में पड़ गई। पता नहीं सासू मां और बाबूजी का स्वभाव कैसा होगा। उनके लिए चाय नाश्ता कब बनाना पड़ेगा। स्नान का पानी भी तो गर्म रखना होगा। उनके स्वास्थ्य का खयाल किस तरह रखना होगा। समय से दवा देनी होगी। बात बात पर गुस्सा तो नहीं होंगे। कहते हैं सास और बहू की बनती नहीं है। उनमें खट-पट होती रहती है।पता नहीं रिश्तों में सामंजस्य रख पाऊंगी या नहीं। आने जाने वाले मेहमानों का भी तो ख्याल रखना होगा। कम से कम तीन वक्त का खाना। फिर सारे घर का काम। झाड़ू पौंछा और ढ़ेर सारे बर्तन। सबके कपड़े भी तो धोकर इस्त्री करने पड़ेंगे।     वह घबरा गई। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। दिन गुजरा। फिर सुबह हुई। पति काम पर चले गए। 

     वह अपने कमरे में झाडू लगा रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। देखा - सास मुस्कराते हुए चाय और नाश्ता लिए खड़ी थी। कहने लगी- बहू, घबराने की जरूरत नहीं। तुम हमारी बेटी हो। यह घर तेरा ही है। माना घर में बहुत सारे काम है। हम भी कामों में हाथ बंटा लेंगे।कहकर उसके सिर पर हाथ रखा।

    बाबूजी बाहर लॉन में बिखरे पड़े कचरे को डिब्बे में डाल रहे थे। कहने लगे-अभी हम इतने भी बूढ़े नहीं हुए कि अपनी बेटी का खयाल न रख सकें।

   बहू मन ही मन मुस्कुरा दी। उसके तो जैसे पंख लग गए हों।वह बहुत खुश थी कि उसे अपने ही घर में मां और पिता जी मिल गये। और वे तीनों एक साथ चाय नाश्ता करने लगे।






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रचनाएँ
लघु कथाएं
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साहित्य समाज का दर्पण होता है। हमारे समाज में और हमारे आसपास बहुत सी ऐसी घटनाएं घटित होती है जो हमारे ही ़जीवन से जुड़ी होती है। ऐसे ही जीवन में घटित होने वाले छोटे छोटे पलों को शब्दों में पिरो कर कुछ लघु कथाओं के रूप में पेश किया गया है। लघु कथाएं वास्तव में बहुत कम शब्दों में जीवन के पूरे सार को परिभाषित कर देती है। साथ ही जीवन को एक नया मोड़ देने का काम भी करती हैं।
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रिश्तों की मिठास

30 अप्रैल 2022
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आशीर्वाद

30 अप्रैल 2022
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वह मंदिर की तरफ जा रहा था. अभी मंदिर दूर था. मंदिर की घंटी साफ़ सुनाई दे रही थी. शायद आरती शुरू होने वाली है. उसने अपने कदमों की चाल तेज कर दी. कितने दिन हो गये उसे मंदिर गये हुए. आज आरती में शामिल होन

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कड़वा घूंट

30 अप्रैल 2022
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आज अचानक शर्माजी मिल गये. वेटर से  दो कप चाय मंगवाई. इतने सालों बाद मुलाकात हुई. कॉलेज में साथ थे.   "20 साल हो गये. बहुत कुछ बदल गया. आप भी शायद रिटायर हो गए होंगे. बच्चे बड़े हो गए होंगे. अच्छा बिजन

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वाजिब दाम

30 अप्रैल 2022
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टमाटर क्या भाव दिए ?" - लग्जरी कार का शीशा नीचा करते हुए पूछा.      " तीस रूपये किलो साहब." उसने जवाब दिया.      " इतने महंगे बेच रहा है. इतने तो भाव भी नहीं है. चल दो किलो तौल. चालीस रूपये दूंगा."- ज

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शहर की हवा

30 अप्रैल 2022
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सोच रहा हूं थोड़ा शहर हो आऊं. बेटा-बहू गांव न आ पाएं तो क्या मैं तो जा सकता हूँ उनसे  मिलने. अभी तो आराम से घूम फिर सकता हूँ. पोते-पोतियों के साथ आराम से बातें भी  हो जाएगी. काफी महीने हो गये. बहुत याद

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उपहार

30 अप्रैल 2022
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आज उसका  जन्म दिन था.बच्चे,पत्नी व कुछ रिश्तेदार आये हुए थे. टेबल सजाई जा रही थी. रंग बिरंगे गुब्बारे देख बच्चे चहक रहे थे. रिश्तेदारों के पास उपहारों के रंग बिरंगे पैकेट्स थे. सभी तैयारियों में लगे थ

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30 अप्रैल 2022
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30 अप्रैल 2022
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 मैं हार गया इस जीवन से. रोज नयी समस्याएं. मैं तो उलझ कर रह गया.जीने का कोई आनंद नहीं."कहकर वह धम्म से सोफे पर बैठ गया.     दादा जी ने एक  पहेली पूछी. सुनकर पहले तो वह घबरा गया. उसे लगा इसका हल खोजना

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धुआं गिनता हूं

30 अप्रैल 2022
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30 अप्रैल 2022
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