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कई बार सिफारिश की रब से

25 जुलाई 2022

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कई बार सिफारिश की रब से 
एक बार भी सुनवाई ना हुई रब से
गवाह सबूत सब इकट्ठे किये
किस्मत की लकीरों ने सब खारिज किये
गुनाह थे सारे वक़्त के किये हुए
सजा मिली हमे मुहब्बत किये हुए
एक ही ख्वाहिश थी तेरे साथ जीने की
वो भी पुरी ना हुई इतनी मन्नत की
अब ये तन्हा कदम रुक जाने को कहती है
लंबा है सफ़र ये उम्र थक जाने को कहती है

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Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर कृपया मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10087400

26 जुलाई 2022

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बस जिंदगी से चाह यही

20 दिसम्बर 2021
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24 दिसम्बर 2021
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<p>अगर मै कही खो जाऊ</p> <p>फिर ना कभी लौट कर आऊ</p> <p>बस हमारा नाम याद रखना</p> <p>तुम चाहो जैसा अ

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कभी खुद से हारा नही..

31 अक्टूबर 2022
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हमारा आज तो जान ही लिए है बाबू अगर कल की फिकर हो कल फिर मिलनामुझसे बराबरी तो किसीकी होती नही हा ये है की मैं कभी खुद से हारा नहीमेरी मा ने मुझे कुछ अलग तरीके से गढ़ा है ये दुनिया मुझे हारा हुआ मानती म

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कभी खुद से हारा नही..

31 अक्टूबर 2022
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कभी खुद से हारा नही..

31 अक्टूबर 2022
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हमारा आज तो जान ही लिए है बाबू अगर कल की फिकर हो कल फिर मिलनामुझसे बराबरी तो किसीकी होती नही हा ये है की मैं कभी खुद से हारा नहीमेरी मा ने मुझे कुछ अलग तरीके से गढ़ा है ये दुनिया मुझे हारा हुआ मानती म

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