कई बार सिफारिश की रब से
एक बार भी सुनवाई ना हुई रब से
गवाह सबूत सब इकट्ठे किये
किस्मत की लकीरों ने सब खारिज किये
गुनाह थे सारे वक़्त के किये हुए
सजा मिली हमे मुहब्बत किये हुए
एक ही ख्वाहिश थी तेरे साथ जीने की
वो भी पुरी ना हुई इतनी मन्नत की
अब ये तन्हा कदम रुक जाने को कहती है
लंबा है सफ़र ये उम्र थक जाने को कहती है