shabd-logo

कलम - pen

3 अप्रैल 2020

314 बार देखा गया 314

कुछ लोगों के लिए कलम बस

लिखने के काम आती है

पर मेरे लिए तो ये अपने

जज्बात बया करने का तरीका है

वो जज्बात जो कही अंदर

ही मेरे दबे रह जाते है

वो जज्बात जिनको कोई और

समझ नहीं पाता है

मैं नहीं बोल पाता हूँ

इसीलिए मेरी कलम बोलती है

मै खुद को बया नहीं कर पाता

इसीलिए मेरी कलम बया करती है

मैं नहीं रो पाता हूँ

इसीलिए मेरी कलम रोती है

मैं नहीं हँस पाता

इसीलिए मेरी कलम हँसती है

मेरे कागज गीले हो जाते है

उन पर लिखे शब्दों की स्याही

कही और बिखर जाती है

और उन कागजो का गिलापन

मेरी कलम दूसरों तक ले जाती है

मेरे दर्द बया होते है

बिना आवाज मेरी कलम से

मेरी भावनाओं को दूसरों तक पहुँचाने का

जरिया बन जाती है मेरी कलम

दूसरों के आंखो में आँसू

भी ले आती है ये कलम

क्योंकि उनके जज्बातों को जगाना

अच्छे से जानती हैं ये कलम

धीरे धीरे संघर्ष करते हुए

अपना भी खत्म हो जाती है

और फिर से एक नया रूप ले

मेरे पास वापस आ जाती है कलम

इसलिए कहता हूँ होगी ये

तुम्हारे लिए बस लिखने की चीज

पर मेरे लिए ये अभिव्यक्ति का माध्यम है

जिसमें मेरी ज़िन्दगी का सार छूपा है

Poetry and photography: कलम - pen

जिब्बु का की अन्य किताबें

1

बच्चा बनने का मन है

15 मार्च 2020
0
2
0

खेलने का मन है, कूदने का मन हैआज फिर बच्चा बनने का मन हैदौड़ने का मन है चिखने चिल्लाने का मन हैबिना डरे जिंदगी जीने का मन हैक्योंकि आज मुझे जीने का मन है आज मुझे बच्चा बनने का मन हैये जीना भी क्या जीना था जिसमें ना भविष्य कि चिंता थीना भूतकाल के दुखो का रोना थाबस आज था और

2

पांचाली का दांव

3 अप्रैल 2020
0
0
0

हस्तिनापुर छोड़, पाण्डव नव नगरी जब आये,छोड़ कौरव, बन्धु - बान्धव संग तब लाये।देख इन्द्रप्रस्थ, चकित रह गया दुर्योधनअपमानित करने को आतुर उसका ईर्ष्यालू मन।।द्यूत क्रीडा करने की उसने घृणित चाल अपनाई,मामा शकुनि संग आमंन्त्रण की तुच्छ नीति बनाई।एक ओर पारंगत शकुनि, नवसिखिये पाण्

3

कलम - pen

3 अप्रैल 2020
0
0
0

कुछ लोगों के लिए कलम बसलिखने के काम आती हैपर मेरे लिए तो ये अपनेजज्बात बया करने का तरीका हैवो जज्बात जो कही अंदरही मेरे दबे रह जाते हैवो जज्बात जिनको कोई औरसमझ नहीं पाता हैमैं नहीं बोल पाता हूँइसीलिए मेरी कलम बोलती हैमै खुद को बया नहीं कर पाता इसीलिए मेरी कलम बया करती हैम

4

रिश्ते - Rishtay

4 अप्रैल 2020
0
2
0

कौन किसके लिए जीता है आज ज़माने मे उम्र गुजार देते है लोग चंद सिक्के कमाने में।।एक पल भी लगता नहीं तोड़ने में रिश्तों को मैने तो उम्र लगा दी दिलो को करीब लाने में।।अहमियत ही ना रही अपनी पराये की आज सभी लगे हुए है दिखावटी रिश्ते निभाने में।।जो खुद रिश्तो की कसौटी पैर खरे उतर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए