मैं एक गृहिणी हूं और दो बच्चों की मां हूं। मुझे पढ़ने के साथ साथ लिखने का भी शौक है। मैं कई सोशल प्लेटफार्म पर लिखती हूं। प्रकृति से बहुत प्यार है।
निःशुल्क
जीवन मृगतृष्णा सी भटकाए,हर पल जो संग थेवही निकले पराए।जिंदगी रेत की तरह फिसलती रहीऔर हम बंद मुट्ठी में खुशियां भरते रहे।बड़े प्यार से इक -इक धागा बुनकररिश्तों की, जो कशीदाकारी की थी हमने,इक फंदा क्या