सर्वप्रथम शब्दानगरी को मातृभाषा हिंदी में डिज़ाइन करने के लिए आईआईटी की विद्यार्थी टीम को धन्यवाद...मैं सीनियर क्रिएटिव डिज़ाइनर ग्राफ़िक एंड इलस्ट्रेशन आर्टिस्ट हूँ....
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""पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया, जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा :मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे स्वरुप को धारण किया है अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा, दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा औ
रिश्ता.... "रिश्ता" दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,"नाराजगी" शब्दों में होनी चाहिए दिल में नहीं!सड़क कितनी भी साफ हो "धुल" तो हो ही जाती है, इंसान कितना भी अच्छा हो "भूल" तो हो ही जाती है!!! आइना और परछाई के जैसे मित्र रखो कयोकीआइना कभी झूठ नही बोलता और परछाई कभी साथ नही छोङती......खानेमें कोई '