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काव्यांजलि

काव्या सोनी

9 अध्याय
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मन के ख्याल शब्दों का सहारा हाल ए दिल लेखनी में संवारा 

kavyanjali

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पुस्तक के भाग

1

सबसे ख़तरनाक बीमारी

3 अप्रैल 2022
14
10
6

इस दुनिया की सबसे ख़तरनाक बीमारी है, उन लोगो कि मानसिकता जो औरत को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख पाते, उसे अपनी ख्वाहिशों को पूरा करते नहीं देख पाते , कोरोना वायरस तो कुछ टाइम से फैला ओर लोगो को भयभीत भी किय

2

आधुनिक भारत

20 अगस्त 2022
13
8
2

आधुनिक भारतआधुनिक भारत की अजब शान हैस्वार्थ में अटकी सबकी जान हैछल कपट की चाल हैसत्ता का हर तरफ जाल हैफरेब के ठाट हैस्वार्थ के सब साथ हैचापलूस बने यार हैदोस्तों के भेष मिलते गद्दार हैमाता पिता की बुरे

3

भारत vs पाक मैच

28 अगस्त 2022
22
17
9

भारत पाकिस्तान के मैच का रोमांच छायापाकिस्तान करे बोलिंगभारत की बैटिंग का निर्णय आयाधूम मची जब हर खिलाड़ी ने अपना प्रदर्शन दिखायाबल्ला क्या खूब घुमायाचौके छक्को से शतक बनायादेख प्रदर्शन भारत का प

4

नारी नर्क में क्यों

30 अगस्त 2022
4
2
2

स्त्री मां का रूप जो ईश्वरीय वरदान पाकर नए जीवन को जन्म देकर प्रकृति का रूप है। जिसकी पूजा शक्ति के रूप में होती है। जो पति और बच्चों की सलामती के लिए सारी उम्र व्रत पूजा में बिताती है। &n

5

गणेश चतुर्थी

31 अगस्त 2022
18
11
8

मेरे प्यारे गणेशा देना साथ हमेशा तेरे रहते ना कोई उदास मन सदा करना सबके वास मुश्किलों में बनकर हौसला गणेशा तुम रहना सदा पास विश्वास मन में जगा देना डगमगाए कदम

6

टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
11
9
2

समय यात्रा यानी अतीत और भविष्य का सफरकई बार कहानी, कथा या टेलीविजन पर देखने सुनने को मिलता है फिल्मों न कई आधुनिक तरीको से समय यात्रा को दर्शाया जाता है। वहीं कहानी किस्सों में चमत्कार को जरिया बनाकर

7

प्यार

14 सितम्बर 2022
1
2
2

प्यार की परिभाषा से तुम हो अनजानप्यार के मतलब से हुई नही पहचानये रोशनी भरा जहान है प्यार है अंधेराख्वाहिशों का ये है डेराप्यार अनमोल हीरा हैसुकून कभी तो कभी बेइंतहा पीड़ा हैएक मीठा सा ये ख्वाब हैबेकरा

8

शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
12
8
5

शर्मसार होती इंसानियतक्यों पाक नही आज किसी की नियतक्यों नही होता इंसानियत का आगाज़ इंसानों का ये कैसा अंदाजऔरत को लाज शर्म की मर्यादा बताते हैइंसानियत खुद क्यों भुल जाते हैऔरत को सदा ही मर्दों ने

9

कर्म और भाग्य

6 अक्टूबर 2022
11
9
2

निश्छलता से अपना कर्म करते रहभाग्य खुद ही एक दिन संवर जायेगाहर पल नया रंग दिखाती जिंदगीअंधेरी रात का कभी तो नया सवेरा आएगाकर्म की राह चल हौसला न हारचाहे डगमगाए कदम कर मुश्किलों को पारभाग्य चक्र चलता र

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