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कभी तो खुद ख्याल करना तू इस दुनिया से डर चिंता सबकी तू करती हैअपनी ख्वाहिशों से क्यों मुकरती हैतेरे मन अपनों के लिए फिक्र हैबस खुद सिवा होठों पे तेरेसभी का जिक्र हैतुम्हे सदा ये ही सिखाया गया हैन
चलो अब ये कर के देखते हैगम अब अपनेआप में रहते हैंना चिंता न जमाने की फिक्रना गम का करे कोई जिक्रबड़ा सुकून मिले अपनेआप मेंदूजा कोई नहीं मैं रहूं अपने साथ मेंबैचन धड़कनों की धुन सुनूंसुकून के साज नए बु