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नारी नर्क में क्यों

30 अगस्त 2022

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स्त्री मां का रूप जो ईश्वरीय वरदान पाकर नए जीवन को जन्म देकर प्रकृति का रूप है। जिसकी पूजा शक्ति के रूप में होती है। जो पति और बच्चों की सलामती के लिए सारी उम्र व्रत पूजा में बिताती है। 
                               ये ही स्त्री एक भोग की वस्तु के रूप में समझी जाती है। कितनी वेदना से भरी होती है। स्त्री की स्तिथि जब उसे नरकीय जीवन भोगना पड़ता है। लालच और वासना का शिकार बनाया जाता है । जब उसकी कभी दहेज तो कभी घरेलू हिंसा में बलि चढ़ा दी जाती है।

बात जब समानता और विकास की आती है तो कहा जाता है।
स्त्री और पुरुष समान है। दोनों अधिकार समान है। महिलाएं किसी काम नहीं समझी जाती। 
                    
            पुरुष समान महिलाएं भी सशक्त रहे। उनको भी संपूर्ण सम्मान मिले ।आखिर ये मुद्दा है ही क्यों , क्यों स्त्री के कमतर होने का सवाल उठता है। क्यों ये अवधारणा जीवन का हिस्सा बनी । महिलाओं को ही क्यों अपनी क्षमता हर बार साबित करनी पड़ती है। स्त्री पुरुष की असमानता का स्वरूप आखिर है क्यों ?जब दोनों एक दूसरे के पूरक है। तो स्त्री कम और पुरुष ज्यादा सशक्त क्यों? 
                                        इन सवालों के उत्तर भी दोहरे है। मानसिक और शारीरिक देह से सशक्त होने में शायद  कमी पाएं मन से स्त्री कमज़ोर नही होती पर मन में उपजते ममता के भाव कमज़ोर कर देते है। संस्कार जीवन की दिशा के नियंत्रक होते है। ये सब पुरुष में भी होते है । वो अपनाते भी है पर स्त्री भावनाओ में उलझी रहती है। शिक्षा हासिल कर स्वतंत्र सपने देखती है। पर भावनाओं के चलते समझौता करना अपनी प्रकृति मानती है। शादी कर दो घरों के तालमेल में उलझती है। इन दो नावों की सवारी में खोकर अपना वजूद कम आंकती है। ससुराल की मर्यादा पीहर की लाज संभालते हुए अपने जब अपने सपनों से समझौता करने से इंकार वैवाहिक जीवन में टकराव बन जाता है। टकराव इतना बढ़ जाता है। या तो हिंसा का रूप लेता है या विवाह विच्छेद का कारण ऐसी स्तिथि में स्त्री का जीवन नर्क बन जाता है
                                           या तो सहे या लड़े दोनो ही सूरत में वेदना ही मिलती है। शादी का अंत हो तो माता पिता का अहंकार आड़े आता है। सहे तो आत्मसम्मान 
Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

बहुत अच्छा लेख।

1 सितम्बर 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

1 सितम्बर 2022

Shukriya sir

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