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शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022

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शर्मसार होती इंसानियत
क्यों पाक नही आज किसी की नियत
क्यों नही होता इंसानियत का आगाज़ 
इंसानों का ये कैसा अंदाज
औरत को लाज शर्म की मर्यादा बताते है
इंसानियत खुद क्यों भुल जाते है

औरत को सदा ही मर्दों ने
बेजार किया ,
भरी महफ़िल में 
हर बार शर्मसार किया |
मासूम बच्ची हो ,
साड़ी में लिपटी काया,
हर रूप में औरत ने ,
इज्जत मान गवाए |
छोटे कपड़ों को ,
अस्मिता लूटने का कारण बताया, 
फिर नन्ही कलियां साड़ी में सिमटी ,
काया ने अपनी इज्जत को गंवाया |
क्या हो जो औरत आए भरे बाजार ,
खुद अलग कर दे अपने परिधान,
मर्दों तुम्हारी मर्दानगी को ललकारे,
खुद सामने आकर तुम्हारी इज्जत उतारे |
तुमसे जो औरत कह जाए ,
हो हिम्मत तो छूकर दिखाएं ,
तुम भी हो जाओगे शर्मसार ,
फिर तुम बतलाना ,
आसान है क्या यू जी पाना |

कैद पंछी से जब औरत को रखते ,
इज्जत मान सम्मान के पाठ ,
सामने औरत के पढ़ते हो ,
लाज शर्म की मयार्दा बताते हो |,
कैद में रख हक़ तुम जताते हो |

तुम जो कुछ भी हासिल करो ,
ये तुम्हारी काबिलियत ,
जो औरत सफलता पाए ,
तो बेशर्मी बतलाकर ,
दिखते अपनी असलियत ,
तुमने ये बात नहीं बताई ,
दोगला जीवन जीते शर्म ,
कभी तुम्हे है आई |

बहुत जली मोमबत्तियां ,
न्याय की बड़ी गुहार लगाई ,
अब औरत बनी आग ,
आंगरे अब ना बुझ पाए ,
आग के दरियें में सब जल जाना है ,
अस्मिता और मान से जो ,
औरत के खेले अब तय है ,
उसको राख हो जाना है |

अब तूफान को तुम पहचानो ,
अब ना मिले दया रहम ,
बात ये तुम जानो ,
रीत रिवाज बंधन ,
अपने सुहुलियत के परिधान ,
अब अपने संभालों |

बेवजह ना अब कैद के पाओगे ,
आज की नारी को ना ज़ंजीरों मे बांध 
पाओगे ,
औरत खुद मे बलशाली ,
अपनी ताकत औरत ने अब पहचानी ,
ना औरत को तुम अब कम जानो ,
ना अब और सताना कहना अब मानो |

जो खुद औरत आ जाए ,
खुद मे है औरत जलजला ,
सब तबाह कर जाए ,
अपनी में मर्यादा को औरत तज़ कर आ गई ,
ना खुद से नज़रे मिला पाओगे ,
शर्मसार भर महफिल खुद को पाओगे ,
औरत ने जब सब कुछ गंवा दिया ,
क्या होगा जो असली रूप तुम्हारा सबको ,
दिखा दिया |
sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

Very nice 👌

23 सितम्बर 2022

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

वाह...शानदार सृजन...मर्दों को खूब लताड़ा-फटकारा आपने😊 अतिसुन्दर, उत्कृष्ट अभिव्यक्ति आपकी👌👌👌👌👌

23 सितम्बर 2022

Sanju Nishad

Sanju Nishad

Very nice 👍💐

23 सितम्बर 2022

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

इंसानियत का एक तकाज़ा है करुणा और प्रेम को धारण करना , उसी को केंद्रित करती ये रचना, बहुत खूब👏👏💐💐

23 सितम्बर 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

23 सितम्बर 2022

Bahut bahut shukriya aapka💐🥰

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