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जैविक kheti

22 फरवरी 2015

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अपना भविष्य संवारें स्वदेश को अपनी कोमल मिट्टी और भूमि पर गर्व है। अब इसे हाथों से ही खोदा जा सकता है और इसमें केंचुए भी बहुतायत में हैं, जो कि मिट्टी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। स्वदेश कहते हैं कि रासायनिक खेती करना बहुत बड़ा नुकसान है। बस यूं समझ लीजिए कि आपको तेल लेना है। दो प्रकार के तेल हैं- रिफाइंड और फिल्टर। अधिकतर भारतीय रिफाइंड का प्रयोग करते हंै और यह रसायन से बना होता है। किसानों को यह समझना होगा कि रसायन मिट्टी को जो नुकसान करते हैं वह करते ही हैं, इसके अलावा कृषि के पोषण के लिए खेत में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। वे वातावरण और स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पंहुचाते हैं। आप क्या चुनेंगे..

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अर्चना गंगवार

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2 सितम्बर 2015

द्वारका प्रसाद चाहर

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जैविक कृषि को बढावा देने के लिये सरकार को वैसी ही योजनाये बनानी होगी जैसी हरित क्रांति को बढावा देने के लिये रसायनिक खाद व कीटनाशको के प्रयोग के लिये लिये वर्षो पूर्व यानी तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री व इन्दीरा गान्धी के समय में बनाई गई थी। जैविक खेती को योजना गत धीरे धीरे लम्बे समय यानी कम से कम 10 से 15 वर्ष की योजना बनाकर ही कायम किया जा सकता है। इसके लिये किसानो को अवरनेस(जागरूकता) के साथ साथ देश की जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा ओर सरकार द्वारा जैविक खेती करने वाले किसानो के आर्थिक व अन्य सहयोग के लिये व्यवहारिक व प्रभावकारी योजना पर लम्बे समय तक काम करना होगा।

22 फरवरी 2015

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