दिल पत्थर का ना था,
पर तुमने बना दिया.
इस बंजर जमीन पर,
मेरा कफ़न सजा दिया.
ना ख़ुशी हैं मुँह पर,
ना उदासी शाई हैं.
अब तो जाना ही होगा,
ख़ुदा ने आवाज़ जो लगाई हैं.
तुम दो घड़ी चुप बैठो,
हम करके आये मुलाकात.
हम देखेंगे आज जन्नत,
या कटेगी पाताल में रात.
हर तरफ ही आज ,
ये काली घटा शाई हैं.
अब तो जाना ही होगा,
ख़ुदा ने आवाज़ जो लगाई हैं.
पापी सा ये ज़माना,
कमबख़्त ये जिंदगी हैं.
पुकारता हूँ उस ख़ुदा को,
जिसने ये दुनिया रचाई हैं.
अब तो जाना ही होगा,
ख़ुदा ने आवाज़ जो लगाई हैं.