3 अगस्त 2022
दिल पत्थर का ना था, पर तुमने बना दिया. इस बंजर जमीन पर, मेरा कफ़न सजा दिया. ना ख़ुशी हैं मुँह पर, ना उदासी शाई हैं. अब तो जाना ही होगा, ख़ुदा ने आवाज़ जो लगाई हैं. तुम दो घड़ी चुप बैठो, हम करके